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निरक्त कोश १३०५. लोम (लोम) लुनाति लीयन्ते वा तेषु यूका इति लोमानि ।
(उशाटी प २५४) जो उखाड़े जाते हैं, वे लोम/रोम हैं। जिनमें यूका/जूंए लीन होती हैं/वास करती हैं, वे लोम
१३०६. लोमहार (लोमहार) लोमानि-रोमाणि हरन्ति-अपनयन्ति प्राणिनां ये ते लोमहाराः।
(उशाटी प ३१२) जो प्राणियों के लोम/केशों का अपहरण करते हैं, उन्हें मार
डालते हैं, वे लोमहार/लुटेरे हैं । १३०७. लोय (लोक) लोक्यते इति लोकः।
(उचू पृ १७६) लोक्यते-दृश्यते केवलालोकेनेति लोकः। (स्थाटी प १३)
जो (केवल ज्ञान से) देखा जाता है, वह लोक है। लोकान् पातीति लोकः ।
(आटी प २१) प्राणी जिसमें समाते हैं, वह लोक है। लोक्यते-प्रमीयत इति लोकः।
(स्थाटी प ३६) जिसका माप किया जाता है, वह लोक है। १३०८. लोह (लोभ) लुभ्यते वाऽनेनेति लोभः।
(स्थाटी प १८६) जिसके द्वारा प्राणी लुब्ध होता है, वह लोभ है। १३०६. वइ (वतिन्) वयाणि से संतीति वती।
(दअचू प २३३) जिसके व्रत हैं, वह व्रती है।
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