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निरक्त कोश
१२५५. मूढ (मूढ़) मुह्यते स्म अस्मिन्निति मूढः ।
निचू १ पृ १७) जो मुग्ध/विवेकविकल बनाती है, वह मूढ (दृष्टि) है । १२५६. मेखला (मेखला) मेखस्य माला मेखला।'
(अनुद्वा ३६८) जो मे/गुप्त ख/स्थान की माला है, वह मेखला है । १२५७. मेज्झ (मध्य) मेध्यानि द्रव्याणि नाम यर्मेधा उपक्रियते ।
(व्यभा १० टी प ६५) जिनसे मेधा उपकृत होती है|बढती है, वे मेध्य श्रेष्ठ पदार्थ
१२५८. मेय (मेद) मिद्यतेऽनेनेति मेदः।
(उचू पृ १५६) जिससे स्निग्धता प्राप्त होती है, वह मेद है । १२५९. मेहावि (मेधाविन्) मेहाए धावतीति मेहावी ।
(आचू पृ १२४) जो मेधा से प्रवृत्ति करता है, वह मेधावी है । मेरा धावित्ता मेहाविणो।
(आचू पृ २२५) जो मर्यादापूर्वक गति करते हैं, वे मेधावी हैं। १२६०. मोय (मोक)
मोचयति पापकर्मभ्यः साधुमिति मोका। (व्यभा ह टीप १५)
जो पापकर्म से मुक्त करती है, वह मोक (प्रतिमा) है । १. मेहनस्य खस्स माला वि वत्तव्बे मेखला । (विटी १ पृ४५६) २. मेद्यति स्निह्यतीति मेदः। (शब्द ३ पृ ७७६) ३. धारणाशक्तियुक्ता धीर्मेधा, मेधते सङ्गच्छतेऽस्यां सर्व, बहुश्रुतं विषयी
करोति इति वा मेधा । (शब्द ३ १७८०) जिसमें सब कुछ समाहित हो जाता है, वह मेधा है । जो अनेक विषयों में प्रवृत्त होती है, वह मेधा है ।
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