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________________ २३८ निरक्त कोश १२५५. मूढ (मूढ़) मुह्यते स्म अस्मिन्निति मूढः । निचू १ पृ १७) जो मुग्ध/विवेकविकल बनाती है, वह मूढ (दृष्टि) है । १२५६. मेखला (मेखला) मेखस्य माला मेखला।' (अनुद्वा ३६८) जो मे/गुप्त ख/स्थान की माला है, वह मेखला है । १२५७. मेज्झ (मध्य) मेध्यानि द्रव्याणि नाम यर्मेधा उपक्रियते । (व्यभा १० टी प ६५) जिनसे मेधा उपकृत होती है|बढती है, वे मेध्य श्रेष्ठ पदार्थ १२५८. मेय (मेद) मिद्यतेऽनेनेति मेदः। (उचू पृ १५६) जिससे स्निग्धता प्राप्त होती है, वह मेद है । १२५९. मेहावि (मेधाविन्) मेहाए धावतीति मेहावी । (आचू पृ १२४) जो मेधा से प्रवृत्ति करता है, वह मेधावी है । मेरा धावित्ता मेहाविणो। (आचू पृ २२५) जो मर्यादापूर्वक गति करते हैं, वे मेधावी हैं। १२६०. मोय (मोक) मोचयति पापकर्मभ्यः साधुमिति मोका। (व्यभा ह टीप १५) जो पापकर्म से मुक्त करती है, वह मोक (प्रतिमा) है । १. मेहनस्य खस्स माला वि वत्तव्बे मेखला । (विटी १ पृ४५६) २. मेद्यति स्निह्यतीति मेदः। (शब्द ३ पृ ७७६) ३. धारणाशक्तियुक्ता धीर्मेधा, मेधते सङ्गच्छतेऽस्यां सर्व, बहुश्रुतं विषयी करोति इति वा मेधा । (शब्द ३ १७८०) जिसमें सब कुछ समाहित हो जाता है, वह मेधा है । जो अनेक विषयों में प्रवृत्त होती है, वह मेधा है । Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.016101
Book TitleNirukta Kosh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorTulsi Acharya, Mahapragna Acharya
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year
Total Pages402
LanguageHindi
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size11 MB
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