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'निरक्त कोश ११७२. भीम (भीम) बिभेति जनोऽस्मादिति भीमः ।
(बृटी पृ २५६) जिससे व्यक्ति डरता है, वह भीम/भयावह है । ११७३. भुजपरिसप्प (भुजपरिसर्प) . भुजाभ्यां-बाहुभ्यां परिसर्पन्तीति भुजपरिसर्पाः ।
__ (स्थाटी प १०८) जो भुजाओं के सहारे परिसर्पण/गति करते हैं, वे भुजपरि
सर्प हैं। ११७४. भुयंग (भुजङ्ग) भुजाभ्यां गच्छतीति भुजङ्गः।
(उचू पृ २२६) जो भुजाओं से चलता है, वह भुजङ्ग सर्प है । ११७५. भू (5) भ्रमतीति भ्रः।
(अनुद्वामटी प १०३) जो भावों के अनुसार इधर-उधर घूमती हैं, वे भ्रू/भौंहें हैं। ११७६. भूतोवघाइणी (भूतोपघातिनी) भूयाणि उवहम्मंति जाए भासाए भासियाए सा भूतोवघाइणी।
(दजिचू पृ २५५) जिस भाषा के द्वारा भूत/प्राणियों का उपघात होता है,
वह भूतोपघातिनी (भाषा) है । ११७७. भूय (भूत)
भूते भवति भविस्सति य तम्हा भूए । (भ २/१५)
जिसका अस्तित्व था, है और होगा, वह भूत/प्राणी है । ११७८. भेउर (भिदुर)
वाहीए विवागेणं वा भिज्जतीति भेउरं। (आचू पृ ७४)
व्याधि अथवा (कर्म) विपाक से जिसका भेदन होता है, वह भिदुर शरीर है। १. भ्राम्यति नेत्रोपरि इति भ्रूः। (शब्द ३ पृ ५६०)
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