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निरुक्त कोश
जो परिज्ञा/ज्ञानपूर्वक आचरण करता है, वह परिज्ञचारी
६६१. परिणिट्ठिय (परिनिष्ठित) परि–समन्तान्निष्ठितः परिनिष्ठितः। (प्रसाटी प २२२)
जो सर्वथा निष्ठित/पूर्ण हो जाता है, वह परिनिष्ठित है। ९६२. परिणिव्वाण (परिनिर्वाण)
परि-समन्तान्निर्वाणं-सकलकर्मकृतविकारनिराकरणतः स्वस्थीभवनं परिनिर्वाणम् ।
(स्थाटी प २२) __जो सर्वथा कर्मविकार का निराकरण/निरसन करता है, वह
परिनिर्वाण/मोक्ष है। ६६३. परिताण (परितान) परितन्यत इति परितानः।
(सूचू १ पृ. ३२) जो फैलाया जाता है, वह परितान/जाल है। ६६४. परियाण (परियान) परियायते-गम्यते यस्तानि परियानानि ।
(स्थाटी प ४२१) जिनके द्वारा गमन किया जाता है, वे परियान वाहन हैं । ६६५. परियाणिय (परियानिक) परियान-गमनं तत् प्रयोजनमस्येति परियानिकम् ।
(बृटी पृ १०८१) जो परियान/गमन के काम आता है, वह पारियानिक/वाहन
६६६. परियारग (परिचारक)
परिचरन्ति–सेवन्ते स्त्रियमिति परिचारकाः। (स्थाटी प ६५)
जो परिचरण/मैथुन सेवन करते हैं, वे परिचारक हैं ।
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