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निरुक्त कोश ८६२. धम्मविदु (धर्मविद् धम्म विदतीति धम्मविदः ।
(आचू पृ १४४) जो धर्म को जानता है, वह धर्मवित् है। ८६३. धम्माणुअ (धर्मानुग)
धर्म-श्रुतरूपमनुगच्छन्ति ये ते धर्मानुगाः। (औटी पृ १०२)
____जो धर्म का अनुगमन करते हैं, वे धर्मानुग हैं। ८६४. धर (धर) धरतीति धरः।
(नंटी पृ १३) जो धारण करता है, वह धर/धारक है। ८६५. धरणा ((धरणा)
अवायाणंतरं तमत्थं अविच्चुतीए जहण्णुक्कोसेणं अन्तमुहुत्तं धरेंतस्स धरणा।
(नंचू पृ ३७) जो अर्थबोध अपाय के पश्चात् अंतर्मुहूर्त के लिए स्थिर रहता है, वह धरणा/धारणा है। ८६६. धव (धव)
धारयति तां स्त्रियं धीयते वा तेन पुंसा वा स्त्री दधाति सर्वात्मना पुष्णाति वा तेन कारणेन धवः। (व्यभा ७ टी प ८६)
जो स्त्री का सर्वात्मना धारण/पोषण करता है, वह धव/ पति है। ८६७. धाई (धात्री) धारेइ' धीयए' वा धयंति वा तमिति तेण धाई उ।
(पिनि ४११) १. 'धव' का अन्य निरुक्त
धुनाति धवः। (अचि पृ ११८) - जो प्रकम्पित/उत्तेजित होता है, वह धव/पति है । २. धारयति बालकमिति धात्री। ध्रियते-पोष्यते इति धात्री।
(पिटी प १२२) ३. धीयते-धार्यते बालानां दुग्धपानाद्यर्थमिति धात्री।
(प्रसाटी प १४४) ४. धयन्ति-पिबन्ति बालकास्तामिति धात्री। (पिटी प १२२)
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