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निरुक्त कोश
७७८. सणावरण (दर्शनावरण) दर्शनं–सामान्यावबोधस्तदाप्रियते अनेनेति दर्शनावरणम् ।
(उशाटी प ६४१) दर्शन/सामान्य अवबोध जिसके द्वारा आवृत होता है, वह दर्शनावरणीय (कर्म) है। ७७६. दगवीणिया (दकविनीता) विणयति जम्हा उदगं दगवीणिय भण्णते तम्हा ।' (निभा ६३४)
जिससे दक/पानी ले जाया जाता है, वह दकविनीता/जल
प्रणालिका है। ७८०. दढप्पहारि (दृढप्रहारिन्) निक्किवं पहणइति दढप्पहारी। (आवहाटी १ पृ २६२)
जो निर्दयता से प्रहार करता है, वह दृढप्रहारी (चोर) है । ७८१. दप्पणिज्जा (दर्पणीया) दर्पयतीति दर्पणीया।
(प्रज्ञाटी प ३६६) जो दर्प/उन्माद पैदा करती है, वह दर्पणीया (शराब) है । ७८२. दमअ (द्रमक) भोयणनिमित्तं घरे घरे द्रमति गच्छतीति दमओ।
(दअचू पृ १६८) जो भोजन के लिए घर घर भटकता है, वह द्रमक/ भिखारी है। ७८३. दया (दया) दोयत इति दया।
(आचू पृ २७०) जिसके द्वारा सहानुभूति प्रगट की जाती है, वह दया है । १. 'दगं' पाणी तं 'वीणिया' वाहो, दगस्स वीणिया दगवीणिया।
. (निचू २ पृ ३६) २. 'दया'का अन्य निरुक्त-- दयन्तेऽनया दया। (अचि पृ ८६)
जिसके द्वारा प्राणियों की रक्षा की जाती है, वह दया है।
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