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निरुक्त कोश
१३७ ७०८. णेगम (नैगम) नेगेहि माणेहिं मिणइत्ति नेगमस्स य निरुत्ती। (अनुद्वा ७१५)
जो अनेक प्रमाणों से वस्तु को जानता है, वह नैगम है। नैकोऽपि तु बहवो गमाः वस्तुपरिच्छेदा यस्यासौ निरुक्तविधिना ककारस्य लोपाद् नैगमः।
(नंटी पृ १७३) जिसमें वस्तुबोध के अनेक गम/भंग हैं, वह नैगम है । निश्चितो गमो नैगमः।
(प्रसाटी प २४३) जो निश्चित गम/विकल्प है, वह नैगम है। ७०६. णेचइय (नैचयिक) निचयेन संचयेनार्थाद् धान्यानां ये व्यवहरन्ति ते नैचयिकाः।
(व्यभा ४/३ टी प ११) जो निचय/संचय पूर्वक धान्य का व्यापार करते हैं, वे नंचयिक/धान्य के थोक व्यापारी हैं। ७१०. णेत (नेत्र) नयतीति नेत्रम् ।'
(सूचू १ पृ २११) जो दृश्य के साथ संबद्ध करता है, वह नेत्र है। ७११. गेय (ज्ञेय) ज्ञायते इति ज्ञेयम् ।
(निचू १ पृ ३७) जो जाना जाता है, वह ज्ञेय है। ७१२. गेयाइय (नैयायिक) नयतीति नैयायिकः ।
(सूचू १ पृ ५८) जो ले जाता है, वह नैयायिक नेता है । ७१३. णेयाउत (नैर्यात्रिक) णयणसीलो याउतो।
(दश्रुचू प ७५) ___जो पार ले जाता है, वह नैर्यात्रिक है। १. नीयतेऽनेन दृश्यमिति नेत्रम् । (अचि पृ १३०)
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