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आगम साहित्य में दर्शनशास्त्र, आचारशास्त्र आदि का वर्णन है। उसके साथ प्रासंगिक रूप में अनेक विषयों का निरूपण भी प्राप्त है। प्रस्तुत कोश से पूर्व वनस्पति कोश और प्राणी कोश का निर्माण हो चुका है। 'जैन आगम वाद्य कोश' उसी श्रृंखला का तीसरा कोश है। मुनि वीरेन्द्रकुमार और मुनि जयकुमार ने इसके निर्माण में काफी श्रम किया | आगम अध्येता के लिए यह बहुत उपयोगी होगा ।
१८ जून २००४ धानीन (राज.)
आशीर्वचन
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आचार्य महाप्रज्ञ
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