________________
[१३]
द्वितयभागगतं स्वल्पम्
॥ णमो उवीसाए तित्थयराणं उसभाइमहावीरपज्जवसाणाणं ॥
अमोने जणावतां हर्ष थाय छे के आगमोद्धारकश्रीए संकलित अल्पपरिचितसैद्धान्तिकशब्दकोपना प्रथम भाग संपादन कार्य अमोने ( मने तथा स्व० मुनिश्री क्षेमंकरसागरजीने ) मल्यु हतु' अने ते प्रथम भागनु' कार्य अमे पूर्ण कर्यु हतु तेना बाकी रहेला बीजा भागोनु संपादन करवानु' कार्य मने सं० २०१५ मां मल्यु. ते कार्य में यथाशक्य शरु कर्यु, एना परिणामे आजे तेनो बीजो भाग 'क थी झ' सुधीनो पूर्ण कर्यो छे अने तेनी आगलनु सम्पादन कार्य पण चालु राख्यु छे.
अमो यत् किंचित् आ कोषना अंगेनु मार्गदर्शन प्रथम भागमां सम्पादकना वक्तव्यमां आयु छे, तेथी अत्यारे ते अंगे कांई विशेष कहेवु नथी, पण त्रीजा के चोथा भागमां ज्यारे प्रस्तावना आपीशु ते वखते लखवानी इच्छा छे.
प्रसंगवशात् एटलु' जणाववु जोइए के- अमारी सम्पादक बेलडिए 'क थी झ' सुधीनु मेटर लगभग तैयार कर्यु तु पण नवी प्रेस कोपी बनाववानी हती अने कांईक सुधारो करवानो हतो. एटला पूरंतु ज ते अधूरू हतु एटले आ बीजा भागनी अंदर तो रंधायेलु खावानु हतु पण दथी मांडीने मेल्वेला, अधूरा मेल्वेला, नहि मेलवेला, बधाय अक्षरोनु कार्य मारे करवानु हतु कारण के मारा जोडीदार मुनिश्रीक्षेमंकरसागरजी म० सं० २०११ ना चैत्र वदि: ०, नी रात्रे पोणा अगिआर वागे झेरी जानवरना करडवाथी काल धर्म पाम्या, एटले वैशाख महिनाथी जवाब - दारी मारा एकलाने शिरे आवी. परंतु गुरुदेवश्रीना पुण्य प्रतापे ते जवाबदारी हुं उठावी शक्यो अ आ बीजा भाग संपादन करी शक्यो. एटले हवे ट थी पचास टका तैयार करेला मेटरने तैयार कर अने सम्पादन करवु ए बधीए जवाबदारी मारे शिर रही.
आ भागनी अंदर 'क थी झ' सुधीना अक्षरो आपेला छे. पण त्रीजा अने चोथा भागमां 'ट थी ह' सुधीन अक्षरो अने ज्ञाताजी विगेरेना तेमज बीजा मेलवतां भिन्न भिन्न निकलेला शब्दो तेमज व्याकरणना 'उणादिशब्दो' अने देशी नाममालाना शब्दो परिशिष्टमां आपवानु विचायुं छे.
संज्ञापत्र, पत्रांकसूची अने शुद्धिपत्र आमां आपवामां आव्यां छे. वली शेठ देव चन्द लालभाई० ( आ फंडना ) नो देवानंदाङ्कमांनु मेटर पाना १ थी ४४ आपवामां आव्यां छे तेमां पाना १ थी १० भेट प्रचार योजना, पाना १ थी ३९ प्रसिद्ध थपला ग्रन्थोनी यादी अने ४० थी ४४ ग्रन्थ प्रकाशन नवी योजना एटलु आपवामां आव्युं छे.
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org