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आगम शब्दकोश
वा
२।२।६, ३१, ६३, ७१ ; २।४।१७; २।६।२७, २८,५३. वहेयव्व [हन्तव्य] पण्हा० ६।१७।१०।१४से १८ सम० २२११;प्र० ६६. भ० ११३६४, ३६८, ३७०, वा [वा] आ० ११२. आ० च्० १११. ठा० २।३८. सम० ३१११३, १२६; ७।११६, १८८, ८।३१६, ३१६६१, ०४४.भ० १४. नाया० ११११५७. उवा०१।२६. अंत ४२५; १५२६४, ६८, ११२, ११६, १२१, १६।४२... ३.३६. अण. ३१७. पण्डा० २१४.विवा० १११११४ नाया० ११२१६७; १।१७।३६।२; १।१८।१६. उवा०
वा [अयवा] सू० १।१।१ ११३२. पण्हा० २।११; ३।२३।५४, ६।६।१८, ७1८3; १०११८
वा [इव] सू०१।११४०; १।३।१६ ; १।४।४८,४६;१।६।१५ वह [वह] वृषस्कन्ध, विवा० १।२।२४, २६, २८
१६, २०,२४; ११७।३०, १११११२८ , वह विध] वहिस्सामि, सू० २।२।६.-वहेइ, विवा० वा [वा]-वंति,सू० १।१२।७. -वांति, भ०१६।१०६..
१।२।६८.-वहेंति, आ० १।१४०. उवा० ८।२३. -वाति, भ० १६.१०६ -वहेमि, भ०३।११२
वाइ [वादिन् ] सू० १।१।१४, २० से २५. ठा०६।२८।१.. वह [वह.]-वहंति, आ० चू०१५।२८।१२.सू०१।५।४२. सम० ८६।२; प्र० २०, ३४, ४७, १२८. नाया::
सम०प्र० २२४।५. नाया० १८।२१४११.-वहति, १।३।३५१५ ठा०४१४६६.-वहती, सू०१।१५।१४
वाइंगणी [दे० वृन्ताकी] भ० २२।४ वहकरण वधकरण] नाया० १।१६।१६
वाइत्तए [वाचयितुम् ] ठा० ३।४७७ वहगत्त [वधकत्व] भ० १२।१४७, १४८
वाइद्ध [व्याविद्ध] भ० १६।५२ वहण [वहन] भ० ७।२५. नाया० १।२१७६. पण्हा० २।१३; ६१४, २०. विवा० १।२।५०, ११७।३१;
वाइय [वाचित ] आ०६७५. ७६
वाइय [वादित ] सम०७२।७ १८।१६ वहणा [वधना'] पण्हा० ११३
वाइय [वातिक] भ० २।५२, ६८; ७।२०३; ६।१५०, वहन्त [वहत्] नाया० १।१।३३
१७७, २१४; ११११५८१४११०६.नाया०११।१७, वहबंधण [वधबन्धन] सू० २।२।५८
११२, ११३, २०६; ११५।७२, २।१।१०. अंत० वहमाण [हन्यमान] सू० २।७।१७
३७२,७३ वहमाण | वहमान | ठा० ४।३६२. भ० ३१११२; १८०, वाइय [वादित,वाद्य ] आ० चू० ११।१४; १२१११.स.०.. १५८०, १०१; १७३०, ३१, ४०, ४७
२।२।३१.भ०३।४; १०॥६६११॥६१,१४१७४.नाया० वहय [वधक] सू० २।४।४, ५, ६
११११८५,११८; ११३।८; १८।२०२. २२१. अंत.., वहावह [वधावध] सू० २।६।४५
३१८१. पहा०६।४,६; १०।१४ . वहित [हत] सू० २।२।५८. भ० ७।१८०, १८१, १८६, वाइसंपया [वादिसम्पदा] सम० प्र० २०, ३४, ... १६०. नाया० ११६४३
वाउ [वायु] आ० १११५२,१५५,१६०,१६७, १६८.आ.. वहिय [वधिक] विवा० १।४।३६ ; १।५।२६; १।६।३७; । चू०१।६१.सू०१।१७,१८; १७।११।६८,१११११७; १७१३८; १९५६; १।१०।१६
१।१५।८, २११२६; २।२।६४; २।३।६३, १४, १५, वहू [वधू ] नाया० ११११६०; १६१०
६६. ठा० ११२००; २।३२४; ४।३६६, ५।६४.सम० वहेत्ता [हत्वा] उवा० ८।२३
३०१३; प्र० २०२, २१२. भ० ५।२३५; ६।११५;
६।२५६; ११॥३१, १२।१७३, १७।१।११८।१८६; १. वैदिक साहित्य में इसका प्रयोग घातक शस्त्र के अर्थ में १६।२४, ३३; २४।२६७. नाया० श११८६. पण्हा० मिलता है । आप्टे, पृ० १३८५
३।२३; ४१७. विवा० ११११७०; ११२।७३; ११३१६५;
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