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________________ चक्षुष्-चक्खु नभस्तल-नयल क्षेत्र-छेत्त पर्याप्त-पज्जत्त यातना-जायणा पक्षपात-पंखवाय जीर्ण-जिण्ण प्रकाश-पगास ध्वजा-झया परिखा-फरिहा स्थित-ठित स्पर्श-फास दर्भ-दब्भ बृहस्पति-बहस्सइ स्नान-हाण भर्तृ-भत्तु तस्कर-तक्कर मार्ग-मग्ग तप्त-तत्त ह्रस्व-रहस्स स्तूप-थूभ रूप---रूव दग्ध-दड्ढ लावण्य-लावण्ण दृढप्रतिज्ञ-दढपइण्ण वंध्यावंझा धान्य-धण्ण वर्ग-वग्ग ध्वज-धय वस्तु-वत्थु नक्षत्र–नक्खत्त ३. देशी-जिसका संस्कृत के साथ कोई संबंध नहीं है, वे शब्द देशी कहलाते हैं। प्रस्तुत कोश में अनेक देशी शब्द हैं । जैसे—खाइ, चंगबेर, चडगर, चप्पडग, छग, छोभ, जुंजिय, जोय, झिमिय, टाल, टोल, डंक, डहर, तिलंडा, थिग्गल, थोर, दंतवण, दाहा, धाडियंत, नावण, नूम, पडल, पगंथ, फुम, फेरंड, बीहणक, भंतिय, मगइय, मच्छंधुल, रुटणा, लिंड, लवइय, वट्ट। आगम साहित्य में देशी शब्द प्रचुरता से मिलते हैं। वे भाषा की समृद्धि और अर्थ की अभिव्यक्ति के सशक्त माध्यम बनते हैं। सहयोगानुभूति आगम-संपादन का विशाल कार्य आचार्यश्री तुलसी के वाचना-प्रमुखतत्व में हो रहा है। उनके मार्ग-दर्शन में अनेक साधु-साध्वियां इस कार्य में संलग्न हैं। आगमशब्दकोश उसी कार्य का एक अंग है। मैं आचार्यवर के प्रति कृतज्ञता ज्ञापित कर उनके ऋण से उऋण होने का प्रयत्न नहीं कर रहा हूं। यह प्रयत्न उनसे शक्ति-संबल पाने का प्रयत्न है। प्रस्तुत ग्रन्थ में अनेक साधु-साध्वियों का योग है। उन सबका उल्लेख अन्तस्तोष में किया गया है। उन सबको साधुवाद देता हूं और मंगल कामना करता हूं कि उनका श्रम इस कार्य की प्रगति में निरन्तर नियोजित रहे। एक लक्ष्य के लिए समान गति से चलने वालों की सम-प्रवृत्ति में योगदान की परम्परा का उल्लेख व्यवहार-पूर्ति मात्र है। वास्तव में यह हम सबका पवित्र कर्तव्य है और उसी का हम सबने पालन किया है। युवाचार्य महाप्रज्ञ लाडनू १५ मई, १९८० Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.016053
Book TitleAgam Shabdakosha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMahapragna Acharya
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year1980
Total Pages840
LanguagePrakrit, Sanskrit
ClassificationDictionary, Dictionary, Agam, Canon, & agam_dictionary
File Size17 MB
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