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________________ ईम् । ग्रन्थकर्ता का संक्षिप्त जीवन - परिचय | रागद्वेषप्रदाद्वयदलन कृते वैनतेयत्वमाप्तः, सूणामग्रगण्यो गुणगण महितो मोहनीयस्वरूपः । यः “श्रीराजेन्द्रसूरि”र्जगति गुरुवरः साधुवर्गे वरिष्ठः, तस्य स्मर्तु चरित्रं कियदपि यतते 'श्री यतीन्द्रो' मुनीद्रः ॥ १ ॥ याज हम उन महानुजाव करुणामूर्ति उपशम ( शान्त ) रसस्वरूप वर्तमान सकल जैनागमपारदर्शी श्री सौधर्म बृहत्तपागच्छीय प्रवर जैनाचार्य जट्टारक श्रीश्री १००८ श्रीमद् - विजयराजेन्द्रसूरीश्वरजी महाराज का अत्यन्त प्रजावशाली संक्षिप्त जीवन-परिचय देंगे, जो कि इस जारत भूमि में अनेक विद्वज्जनों के पूज्य परोपकारपरायण महाप्रजावक थाचार्य हो गये हैं । पूर्वोक्त महात्मा का जन्म श्री विक्रम संवत् १८०३ पौषशुक्ल ७ गुरुवार मुताविक सन् १०२७ ईस्वी दिसम्बर ३ तारीख के दिन 'अनेरा' रेल्वे स्टेशन से १७ मील और 'यगरे' के किले से ३४ मील पश्चिम राजपूताना में एक प्रसिद्ध देशी राज्य की राजधानी शहर 'जरतपुर' में पारखगोत्रावतंस यश (वाल ) वंशीय श्रेष्ठिवर्य 'श्री ऋषनदास जी ' की सुशीला पत्नी 'श्रीकेसरी बाई' सौजाग्यवती की कुक्षि ( कूँख ) से हुआ था । आपका नाम रत्नों की तरह देदीप्यमान होने से जातीय जीमनवार पूर्वक 'रत्नराज ' रक्खा गया था । यापके जन्मोत्सव में जगवद्नक्ति, पूजा, प्रजावना, दान आदि सत्कार्य विशेष रूप से कराये गये थे, यहाँ तक कि नगर की सजावट करने में भी कुछ कमी नहीं रक्खी गयी थी । पकी बाल्यावस्था जी इतनी प्रजावसंपन्न थी कि जिसने आपके माता पिता आदि परिवार के क्या ? अपरिचित सज्जनों के जी चित्तों में आनन्द-सागर का उल्लास कर दिया, अर्थात् सबके लिये आनन्दोत्पादक और अतिसुखप्रद थी । आपने अपने बाल्यावस्था दी सुरम्य वैनयिक गुणों से माता पिता और कलाचार्यों को रञ्जित कर करीब दस बारह वर्ष की अवस्था में ही सांसारिक सब शिक्षाएँ संपन्न करलीं थीं । आपके ज्येष्ठ जाता 'माकिचन्दजी' और बोटी बढ्न 'प्रेमाबाई ' थी । 1 Jain Education International पूज्य लोगों की आज्ञा पालन करना और माता पिता आदि पूज्यों को प्रणाम करना और प्रातःकाल उठकर उनके चरण कमलों को पूजकर उनसे शुनाशीर्वाद प्राप्त करना, यह तो आपका परमावश्यकीय नित्य कर्त्तव्य कर्म था । For Private Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.016041
Book TitleAbhidhan Rajendra kosha Part 1
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRajendrasuri
PublisherAbhidhan Rajendra Kosh Prakashan Sanstha
Publication Year1986
Total Pages1064
LanguagePrakrit, Sanskrit
ClassificationDictionary, Dictionary, & agam_dictionary
File Size38 MB
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