________________
( ३२० )
इस प्रकार सम्यगदृष्टि जीवों के भी भवसिद्धिक जीवों के समान अट्ठाईस उद्देशक
कहना।
मिच्छादिट्ठीरासीजुम्मकडजुम्मणेरइया मंते ! को उववज्जति ?
एवं एत्थ वि मिच्छादिट्ठीअभिलावेण अभवसिद्धियसरिसा अट्ठावीस उद्देसगा कायव्वा ।
-भग श० ४१ । श० ११३ से १४०
राशियुग्म में कृतयुग्मराशि मिथ्यादृष्टि नारकी आदि के विषय में अभवसिद्धिक जीवों के समस्त अट्ठावीस उद्देशक जानना चाहिए।
कण्हपक्खियरासीजुम्मका जुम्मणेरइया गं मंते ! को उववज्जति ? एवं एत्थ वि अभवसिद्धियसरिसा अट्ठावीसं उद्देसगा कायवा।
-भग• श• ४१ । श• १४१ से १६८ सुक्कपक्खियरासीजुम्मकडजुम्मणेरइया गं मंते। कओ उववज्जति ?
एवं एत्थ वि भवसिद्धियसरिसा अट्ठावीसं उद्दसगा भवंति। एवं एए सके वि छण्णउत्तं उद्दसगसयं भवंति रासोजुम्मसयं । जाव सुक्कलेस्सा सुक्कपक्खिय रासीजुम्मकलिओगवेमाणिया जाव जइ सकिरिया तेगेव भवग्गहणेगं सिझंति नाव अंतं करेंति ? मो इण8 सम8।
-भग० श.४१। श. १८९ से १९६
कृष्णपाक्षिक राशिजुम्म कृतयुम्म नारकी आदि के विषय में अभवसिद्धिक के समान अट्ठावीस उद्देशक जानना।
राशियुग्म में कृतयुग्मराशि शुक्लपाक्षिक नारकी आदि के विषय में भवसिद्धिक के समान अट्ठावीस उद्देशक जानना चाहिए। .५६ सयोगी जीव और पापकर्म आदि का करना
जीवे णं भंते ! पावं कम्मं किं करिसु करेति करेस्सति ? करेसु करेति न करिस्सति ? करिसु न करेति करेस्सति ? करितु न करेति न करेस्सति ?
गोयमा! अत्थेगतिए करिसु करेति करेस्सति, अत्यंगतिए करिसु करेति न करेस्सति, अत्थेगतिए करिसुनकरेति करेस्सति, अत्थेगतिए करिसु न करेति न करेस्सति ।
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org