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( ३०७ ) ५४ सयोगी महायुग्म जीव ५४.१ सयोगी महायुग्म एकेन्द्रिय जीव
( कडजुम्मकडजुम्मएगिदिया ) जीवा x x x णो मणजोगी, णो वइजोगी, कायजोगी।xxx। एवं एएसु सोलससु महाजुम्मेसु एक्को गमओ।
-भग० श० ३५ । श• १ । उ १ । सू ९ । १९ ___ कृतयुग्म-कृतयुग्म एकेन्द्रिय जीव मनोयोगी और वचनयोगी नहीं है, काययोगी होते हैं। इसी प्रकार सोलह महायुग्मों के जीव काययोगी होते हैं, मनोयोगी, वचनयोगी नहीं होते हैं। एवं एए ( णं कमेणं ) एक्कारस उद्देसगा।
- भग० श० ३५ । श० १ । उ ११ । सू ९ इसी क्रम से निम्नलिखित ग्यारह उद्देशक कहने । ग्यारह उद्देशक इस प्रकार है- इन ग्यारह उद्देशकों में प्रत्येक उद्देशक में सोलह महायुग्म होते हैं।
१-कृतयुग्म-कृतयुग्म ७–प्रथमअप्रथम समय० कृतयुग्म-कृतयुग्म २-पढमसमय० कृतयुग्म० ८-प्रथमचरम समय० ॥ ३-अपढम समय० कृतयुग्म० ९-प्रथमअचरम समय० ॥ ४-चरम समय० कृतयुग्म० १०-चरमचरम समय० ॥ ५-अचरम समय० कृतयुग्म० ११-तथा चरमअचरम समय० कृतयुग्म०
६-प्रथमप्रथम समय० कृतयुग्म० सयोगी महायुग्म एकेन्द्रिय जीव
( कण्हलेस्सकडजुम्मकडजुम्मएगिदिया)।xxx। एवं जहा ओहिउद्देसए।xxx। एवं सोलस वि जुम्मा भाणियन्वा।
-भग० श० ३५ । श० २ कृष्णलेश्यावाले कृतयुग्म-कृतयुग्म राशि एकेन्द्रिय के जीव मनोयोगी व वचनयोगी नहीं होते हैं, काययोगी होते हैं। इस प्रकार सोलह महायुग्मों के जीव मनोयोगी, वचनयोगी नहीं होते हैं, काययोगी होते हैं ।
( पढमसमयकण्हलेस्सकडजुम्मकडजुम्म-एगिदिया ) जहा पढमसमयउद्देसओ।xxx। एवं जहा ओहियसए एक्कारस उद्देसगा भणिया तहा कण्हलेस्ससए वि एक्कारस उद्देसगा भाणियव्वा ।xxx।
-भग० श० ३५ । श. २
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