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*६६ १८१७ संख्यात वर्ष की आयुवाले संज्ञी तियंच पंचेन्द्रिय योनि से पंचेन्द्रिय तिर्यच योनि में उत्पन्न होने योग्य जीवों में
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संखेजवासा उयसन्निपंचिदियतिरिक्खजोणिए णं भंते ! जे भविए पंचिदियतिरिक्खजोणिएसु उवषजित्तए XX X तेणं भंते! अवसेसं जहा एयस्स चेव सन्निस्स रयणप्पभाए उववजमाणस्स पढमगमए XX X ) उनमें तीनों योग होते हैं । लेकिन मध्मम तीन गमकों में एक काययोग होता है ।
-भग० श २४ । उ २० । सू २५-३२ '६६·१८'१८ असंज्ञी मनुष्य योनि से पंचेन्द्रिय तियंच पंचेन्द्रिय योनि में उत्पन्न होने योग्य जीवों में
गमक १-३ - असन्निमणुस्से णं भंते! जे भविए पंचिंन्द्रियतिरिक्खजोणिपसु उववजित्तए XX X लद्वीसे तिसुवि गमपसु जहेब पुढबिषकाइपसु उववजमाणस्स X X X ) उनमें तीन गमकों में एक काययोग होता है ।
-भग० श २४ । उ २५ । सु ३४ *६६ १८१६ संख्यात वर्ष की आयु वाले संज्ञी मनुष्य योनि से पंचेन्द्रिय तिर्यंच योनि में उत्पन्न होने योग्य जीवों में
गमक १-६ - सन्निमणुस्से णं भंते! जे भविए पंचिदियतिरिक्खजोणिपसु उचवजित्तए XX X तेणं भंते! लद्धी से जहा एयस्सेव सग्निमणुस्सस्स पुढविषकाइएसु उववजमाणस्स पढमगमए एस चेष वत्तव्वया x X X ) उनके छः ही गमकों में तीनों योग होते हैं। मध्यम तीन गमकों में केवल काययोग होता है । - भग० श २४ । उ २० । सू ३७-४४ *६६°१८′२० असुश्कुमार देवों से पंचेन्द्रिय तिर्यच योनि में उत्पन्न होने योग्य जीवों में -
गमक १-६ - असुरकुमारे णं भंते! जे भविए पंचिदयतिरिषखजोणिएसु उपवजित्तए XX X | असुरकुमाराणं लद्धी गवसुचि गमएसु जहा पुढविक्काइएसु उबवजमाणस्स, एवं जाव ईसाणदेवस्स तहेब लद्धी । ) उनके नव गमकों में तीनों योग होते हैं । - भग० श २४ । उ २० । सू ४७ ·६६·१८°२१ नागकुमार यावत् स्तनितकुमार देवों से पंचेन्द्रिय तियंच योनि में उत्पन्न होने योग्य जीवों में
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गमक १-६ - नागकुमारे णं भंते! जे भविए ? एस० चेष वक्तव्या xxx । एवं जाव यणियकुमारे) उनके नब ही गमकों में तीनों योग होते हैं ।
- भगः श २४ । उ२० । सू ४८
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