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________________ ( २१५ ) सकषायी में पन्द्रह योग होते हैं । इनके पर्याप्त में ग्यारह योग होते हैं तथा अपर्याप्त में चार योग ( औदारिकमिश्र, आहारकमिश्र, वैक्रियमिश्र तथा कार्मण काययोग ) होते हैं । अधिक आलाप की तरह सकषायी में योग का प्रतिपादन करना चाहिए । .६१ क्रोधकषायी में कोधकसायाणं भण्णमाणे X X X पण्णारह जोग X X X। तेसिं चेव पजत्ताणं X X X एगारह जोग X X X | तेसिं चेच अपज्ञत्ताणं X X X वत्तारि जोग X X X । कोधकसाय - मिच्छाइट्ठीणं XX X तेरह जोग X Xx । I तेसिं वेब पजत्ताणं x x x दस जोग X Xx X | तेसिं खेव अपज्जन्त्ताणं X X X तिणि जोग X X X | कोधकसाथ - सासणसम्माइट्ठीणं XX X तेरह जोग XXX | तेसिं चेष पज्जत्ताणं X X X दस जोग XX X। तेसिं चेच अपज्जताणं XXX तिणि जोग XX X | कोध कसाय सम्मा मिच्छाइट्ठीणं XX X दस जोग XX X | कोधकसाय - असंजदसम्माइट्ठीणं X X X तेरह जोग X X X | तेर्सि वेष पज्जन्त्ताणं X X X दस जोग X XX | तेसि चेव अपज्जताणं x x x तिण्णि जोग X X X | कोधकसाय-संजदासंजदाणं X X X णव जोग XX X | कोधकसाय-पगत्तसंजदाणं XX X एगारह जोग x x x | कोध कसाय - अप्पमत्तसंजदाणं x x x णव जोग x x x । कोधकसाय-अपुजोग x x x कोधक साय-पढमअणियट्टीणं कोधकलाय - विदिय-अणियट्टीणं x x x णव जोग - षट् ० ० खं १ । १ । पृ २ । पृ० ७००-१२ व्यरणाणं x x x णव xxx णव जोग × × × । XXXI क्रोधकधायी में पन्द्रह योग होते हैं । इनके पर्याप्त में ग्यारह योग तथा अपर्याप्त में चार योग । ( औदारिकमिश्र काययोग, वैक्रियमिश्र काययोग, आहारकमिश्र काययोग तथा कार्मणका योग ) होते हैं । क्रोधकषायी मिथ्यादृष्टि में तेरह योग होते हैं। इनके पर्याप्त में दस योग तथा अपर्याप्त में तीन योग होते ( वैक्रियमिश्र काययोग, औदारिकमिश्र काययोग तथा कार्मणकाययोग ) क्रोधकषायी सास्वादन सम्यागृष्टि में तेरह योग होते हैं इनके पर्याप्त में दस योग, अपर्याप्त में तीन योग होते हैं । क्रोधकषायी सम्यग् मिथ्यादृष्टि में दस योग होते हैं । क्रोधकषायी असंयत सम्यग्दृष्टि में तेरह योग होते हैं । इनके पर्याप्त में दस योग, अपर्याप्त में तीन योग होते हैं । क्रोधकषायी संयतासंयत में नवयोग होते हैं। क्रोधकषायी प्रमत्तसंयत मैं ग्यारह योग अप्रमत संयत में नौ योग, क्रोधकषायी अपूर्वकरण गुणस्थान में नव योग, starषायी प्रथम अनिवृत्ति गुणस्थान बादर तथा द्वितीय अनिवृत्ति बादर गुणस्थान में नौ योग होते हैं । Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.016028
Book TitleYoga kosha Part 1
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShreechand Choradiya
PublisherJain Darshan Prakashan
Publication Year1993
Total Pages428
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size20 MB
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