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________________ . २५ भवनपति देव में • २६ वाणव्यन्तर देव में .२७ ज्योतिषी देव में भवणवासिय वाणवें तर जोइसियाणं भण्णमाणे x x x एगारह जोग X X X | तेसि खेव पजत्ताणं X X X णव जोग XX X | तेसिं चेच अपजत्ताणं X X X दो जोग X X X ! भवणवासिय वाणर्वे तर जोइ सियदेव - मिच्छाइट्ठीणं X X X एगारह जोग XX X | तेसिं चेव पज्जन्त्ताणं x x x णव जोग x XX । तेसिं चैव अपज्जत्ताणं X X x दो जोग X Xx । भवणवासिय वाणवेंतरजोइसियदेव - सासणसम्माइट्ठीणं xxx एगारह जोग x x x तेसि चेव पज्जत्ताणं XXX णव जोग xxx । तेसिं चेव अपज्जत्ताणं Xxx दो जोग xxx । भवणवासिय वाणवेतर - जोइसियदेव- सम्मामिच्छाइट्ठीणं XXX णव जोग x x x भवणवासिय वाणवें तर - जोइसियदेव असंजदसम्माइट्ठीणं X X X णव जोग XX X । ( २०० ) . २५.१ भवनपति देवी में .२६ १ वाणन्यन्तर देवी में .२७.१ ज्योतिषी देवी में ० खं १ । १ । पृ २ । पु० ५४३ - ५० भवनपति, वाणव्यंतर, ज्योतिषी देवों में ग्यारह योग होते हैं । इसके पर्याप्त में नव योग व अपर्याप्त में दो योग होते हैं । सम्यग्मिथ्यादृष्टि में नव योग होते हैं । - षट् ० एवं चेव इत्थवेदणिरु भणं काऊण वक्तव्वं । Jain Education International - षट् ० ० खं १ । १ । पु २ | पृ० ५५० भवनपति, वाणव्यंतर, ज्योतिषी देवी में ग्यारह योग होते हैं । पर्याप्त में नव योग तथा अपर्याप्त में दो योग होते हैं । . २८ वैमानिक देव में वैक्रिय काययोग, वैमानिक देवों में ग्यारह योग (४ मन के, ४ वचन के, वैक्रियमिश्र काययोग, कार्मण काययोग) होते हैं । इनके अपर्याप्त में दो योग तथा पर्याप्त में नव योग होते हैं । • २८.१ वैमानिक देवी में वैमानिक देवी में ग्यारह योग होते हैं । इनके अपर्याप्त में दो योग व पर्याप्त में नव योग होते हैं । For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.016028
Book TitleYoga kosha Part 1
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShreechand Choradiya
PublisherJain Darshan Prakashan
Publication Year1993
Total Pages428
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size20 MB
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