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________________ ( १८४ ) निवृत्तिपर्याप्त बादर पृथ्वीकाय में बादर पृथ्वीकाय की तरह औधिक, अपर्याप्त और पर्याप्त-तीन आलापक होते हैं । यथा औधिक निवृत्ति बादर पृथ्वीकाय में औदारिक, औदारिकमिश्र और कार्मणकाय-तीन योग होते हैं। अपर्याप्त निवृत्तिपर्याप्त बादर पृथ्वीकाय में औदारिकमिश्र और कार्मणकाय-दो योग होते हैं। पर्याप्त निवृत्तिपर्याप्त बादर पृथ्वीकाय में एक औदारिक काययोग होता है । .०१३ अपकाय में आउकाइयाणं पुढषि-भंगो। -षट • खं० १, १ । टीका । पृ २ । पृ० ६०६ अप्काय के जीवों में पृथ्वीकायिक जीवों की तरह तीन योग होते हैं-यथा (१) औदारिक काययोग, (२) औदारिकमिश्र काययोग और (३) कार्मण काययोग .०१३.०१ अपर्याप्त अप्काय में आउकाइयाणं पुढवि-भंगो। --षट् • खं० १, १ । टीका । पु २ । पृ॰ ६०६ अपर्याप्त अप्काय में औदारिकमिश्र और कार्मणकाय- दो योग होते हैं । .०१३.०२ पर्याप्त अपकाय में आउकाइयाणं पुढवि-भंगो। -षट • खं १, १ । टीका । पु २ पृ० ६.६ पर्याप्त अप्काय में एक औदारिक काययोग होता है। .०३.०३ सूक्ष्म अपकाय में मुहुमआउकाइयाणं सुहुमपुढविकाइय-भंगो। - षट० खं. १, १ । टीका । पु २ पृ० ६१० सूक्ष्म अप्काय में औदारिक, औदारिकमिश्र और कामणकाय--तीय योग होते हैं । ( देखे पाठ .१२.०३) .०१३०३.०१ अपर्याप्त सूक्ष्म अपकाय में सुहुम आउकाइयाणं सुहमपुढविकाइय-भंगो। (देखो पाठ .०१२.०३.०१) -षट • खं० १, १ । टीका । पु २ । पृ० ६१० अपर्याप्त सूक्ष्म अप्काय में औदारिकमिश्र और कामणकाय-दो योग होते है । Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.016028
Book TitleYoga kosha Part 1
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShreechand Choradiya
PublisherJain Darshan Prakashan
Publication Year1993
Total Pages428
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size20 MB
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