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________________ ५१.२ जीवों के तीन भेद ( १६६ ) संसारिय जीब × × ×1 तिविह तिथिह - जोए योग की अपेक्षा जीव तीन प्रकार के है- काययोगी, वचनयोगी और मनयोगी । वेपणवि । *५१ - ३ जीव के चार भेद (क) तत्थणं जे ते एवमाहंसु - चउग्विहा सव्वजीबा णण्णत्ता; ते एचमाहं सु; तं जहा - मणजोगी, वइजोगी, कायजोगी, अजोगी । - जीवा० प्रति ६ । सू २५७ सर्व जीव (ख) उव्विहा सव्वजीवा पण्णत्ता, तंजहा- मणजोगी, वइजोगी, कायजोगी, अजोगी । - ठाण० स्था २ । ४ । सू ६०६ सर्व जीवों के चार भेद होते हैं- मनोयोगी, वचनयोगी, काययोगी तथा अयोगी । ५३ विभिन्न जीवों में योग • ०१ औधिक जीव में - वीरजि० सन्धि १२ | कड ४ ५२ योग की अपेक्षा जीव की वर्णणा मनोयोग जीवों की एक वर्गणा है, इसी प्रकार वचनयोग, काययोगी जीवों की वर्गणा है । . मनोयोगी नारकियो की एक वर्गणा होती है, इसी प्रकार दंडक में जिसके जितने योग होते हैं उतनी वर्गणा कहनी चाहिए । Jain Education International (क) तत्य ओघेण अस्थि x x x पण्णरह जोगा, अजोगो वि x x x संपहि मिच्छारट्ठीणं ओघालावे भण्णमाणे अस्थि x x x आहार- दुगेण विणा तेरह जोग XXX | सासणसम्माइट्ठीणमोघे भण्णमाणे अस्थि x x x तेरह जोग xxx सम्मामिच्छा इट्ठोणमोघालावे भण्णमाणे अस्थि x x x दस जोग x x x असंजद- सम्माइट्ठीणमोघ- परूवणे भण्णमाणे अस्थि xxx तेरह जोगxxxसंजदासंजदाणमोघालावे भण्णमाणे अस्थि XX X णव जोग x x x पमन्तसंजदाणमोघालावे भण्णमाणे अस्थि xxx एक्कारह जोग xxx । अप्पमत्तसंजदाणमोघालावे भणमाणे अस्थि x x x णव जोग x x x । अपुव्यकरणाणमोघालावे भण्णमाणे अस्थि x x x णव जोग, ज्झाणीणमपुग्धकरणाणं भवदु णाम वचिबलस्स अत्थित्तं भासापजन्ति सण्णिदपोग्गलखंध-जणिद-सत्ति-सम्भाषादो । ण पुण बचिजोगो For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.016028
Book TitleYoga kosha Part 1
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShreechand Choradiya
PublisherJain Darshan Prakashan
Publication Year1993
Total Pages428
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size20 MB
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