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( ४भू )
एक समय कम उत्कृष्ट बन्धक काल पर्यन्त उसके योग्य उत्कृष्ट योगस्थानों द्वारा किसी जीव के साथ आयुष्य बाँधनेवाले जीव तथा एक समय तक दो प्रक्षेप कम योगस्थान द्वारा आयुष्य बाँधनेवाले जीव में सादृश्व रहता है।
- ०१४२ तप्पा ओग्गउक्कस्सजोगेण ( तत्प्रायोग्य उत्कृष्टयोग )
आयुष्यबन्ध के योग्य उत्कृष्ट योग ।
तप्पा ओग्गउक्कस जोगेणेति पंचमं विसेलणं किमट्ठ कीरदे ? बहुदव्बगहण । जदि एवं तो उक्कस्सजोगेणेत्ति किण्ण उच्चदे ? ण, दोसमए मोत्तूण उक्क साउअबंधगद्धा मेत्तकाल मुक्कस्स जोगेण परिणमणाभावादो ।
- षट्० खं ४, २, ४ सू ३६ |टीका १० पृ० २३५
उत्कृष्ट आयुष्यबन्धककाल के दो समय पर्यन्त परिणमण करानेवाला - तत्प्रायोग्य उत्कृष्टयोग ।
'०१४३ तप्पा ओग्गसंखेजसओगिजीवे ( तत्प्रायोग्य संख्यात सयोगिजीव ) — षट् ० ० खं १, दासू ५८ाटीका | ५ पृ० २७४ उनके ( मनुष्यणी ) योग्य संख्यात सयोगिकेवली जीव ।
मणुसिणीसु पुण तप्पा ओग्गसंखेजसजोगिजीवे दृविय अट्टुत्तरसदं मुच्चा तप्पा ओग्गसंखेजखीणकसाएहि ओवट्ठिय गुणगारो उप्पादेदव्वो ।
मनुष्यणियों की औधिक राशि में से अनुमानतः निकाली हुई राशि, जिसमें १०८ घटाकर मनुष्यणी के योग्य क्षीणकषाय की राशि से भाग देकर संचय काल की अपेक्षा सयोगिकेवलियों का संख्यात गुणनफल निकालने के लिए बननेवाला गुणकारतत्प्रायोग्य संख्यातसयोगिजीव ।
०१४४ तरतमजोगाभावो ( तरतमयोगाभाव ) आकांक्षा-निवृत्ति में विश्लेषण हो जाना ।
तरतमजोगाभावेऽचाउच्चिय,
भबति
तदंतम्मि | सम्वत्थवासणा पुण भणिया कालंतरस्साई य ॥ २८६ टीका - तरतम योगाभावे ज्ञातुरग्रे तनविशेषाकांक्षानिवृत्तावपाय
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धारणा
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.०१४५ तव नियम सील- जोगेहिं ( तपोनियमशील योग )
- विशेभा• गा २८६
ज्ञाता अर्थात् जिज्ञासु की वासना में जब आगे किसी विशेष प्रकार की आकांक्षाअर्थात् योग नहीं रहता है वह तरतमयोगाभाव ।
तरतमयोगाभाव धारणा काल की अवस्था विशेष है ।
एव
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- पण्हा० अ हाद्वा ४/४/पृ० ७००
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