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आगमसद्दकोसो
जंबू, ५६,१२२.२२७,२२९,२४३:
वव. १४४; सन्निसीय [सं + नि + षद् बेस
जंबू. ६०; सन्निसीयत्ता [सन्निषद्या बेसबुत
जंबू. ६०ः सन्निसेजा [सन्निषद्या भासन विशेष
सूय. २६२; उत्त. ५१४: सन्निह [सन्निभातुल्य, समान
नाया. १२; पण्हा. १६; सन्निहय [सन्निभक] तुल्य५j . देविं. ७१: सन्निहाण (सन्निधान आधार
आया. २२२; सूय. २८५; सन्निहाणत्थ सन्निधानार्थीमाधार भाटे
ठा. ७१६; अनुओ. २०६; सन्निहि [सन्निधिसंग्रह, संयय
आया. ६८,८८,३४४,३४६; सूय. ३७६,६४७,६६५ः भग. २००;
पण्हा. ४५ गच्छा. ७२; निसी. ५७८; दस. १९,२४,२.२४३,३७४;
उत्त. १७६.६४४; सन्निहिओ सन्निधितस] संग्राउने साथिने
दस. ५००: सन्निहिय [सन्निहित] ननु टा. ९८; भग.५५२,६२५,६२६; नाया. ८६; • अंत. २७: उव. २:
पन्न. २२१,२२३: सन्निही [सन्निधि संग्रह, संयय
जीय. ३४ सन्नी [संज्ञिन] हुमो ‘सण्णि'
तंदु. २४: सपंचरातीय [सपञ्चरात्रिक] पायरात्रिसहित
निसी. १४१५: सपंचराय [सपञ्चरात्र] पाय रात्रिसहित सम. ६२;
निसी. १४१६;
सपंचवीसराय [सपञ्चविंशतिरात्र] पस्यो। रात्रि
સહિત सम. ६२; सपक्ख [सपक्ष] ५७, ds सम. १०९
दसा. ४; सपक्ख स्वपक्षापोतानो पक्ष
निर. ७,१८: जीय. ८७; पिंड. ९४: सपक्खदिट्टि [स्वपक्षदृष्टि] पोताना पक्षमुंशन
नंदी. १३५; सपक्खि स्वपक्षिन्] पोताना पक्ष
निर. १०: सपक्खि [सपक्षम्] बेवस्तु सामसभे रहे त्यारे બંનેના પડખાબરાબર સમકક્ષ આવે તે टा. १५६,३५०ः भग. १६१,१६३,१६५,१९४,५४६;
अंत. १३; सपक्खिं सपक्षम्] मो ७५२'
अंत. १३: पन्न. २२८,२३२,४४१; सपचवाय [सप्रत्यवाय] व्याधिसहित, विप्र सहित
निसी. ६६२: ओह. ६१; सपञ्चवायहड [सप्रत्यवायाहड] व्याधिवडेराये
जीय. ३५: सपञ्जवसित [सपर्यवसित] विनाशवाणु, छे।
સક્તિ आया. २१२; टा. ७०; जीवा. ३७०,३७१,३७५,३७६,३८३,
३९०,३९३: पन्न. ४७४.४७५.४७७ थी ४८४,४८७.
४८८,४९२.४९४: उत्त. १४७३.१४७६,१५५१,१५६५. १५७६,१५८५,१५९५.१६०४,१६१४, १६२३.१६३८.१६४७.१६५३,१६८५: नंदी. १३०,१३६,१५७; सपनवसिय [सपर्यवसितासी 6५२' भग.२८२,२८३,३९६,४१४,४१५,४२४.
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