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संधिच्छेदग [सन्धिच्छेदक] संधि छेटनार, जातर
પાડનાર
सूय. ६६३:
संधिच्छेय [सन्धिच्छेद] संधि छेहवी ते, भातर પાડવુંતે
पण्हा. १५;
संधिच्छेयग [सन्धिछेदक] खो 'संधिच्छेदग' विवा. १९;
नाया. ४५,२०९; संधिच्छेयय [सन्धिछेदक ] दुखो 'उपर'
सूय. ६६३;
संधिज्ज्रमाण [सन्धीयमान] संधि उरतो, मातर પાડતો
भग. ९०;
संधि [संहित] भणे, खेडत्रित थयेसुं
पण्हा. १५;
भग. ९०; संधिपाल [ सन्धिपाल] रामनुं सीभाडानुं रक्षाए
કરનાર
भग. ३७५, ५०६, ५८७;
संधि [सन्धिमुख] [तमां थोरे पाडेल छिद्रनो
અગ્રભાગ
उत्त. ११८;
संधिवाल [सन्धिपाल] खो 'संधिपाल' .
नाया. १५,२५:
उब. ९,३१,
जंबू. ५६.७६:
राय ६७,७०:
निर. १५:
संधुक्क [सं + धुक्ष] जण, सजग
भग. ५०६ :
पुफि. ५:
संधुक्केत्ता [सन्धुक्ष्य ] जणीने, सणगीने
नाया. २११:
नाया. २११:
भग. ५०६; पुण्फि. ५;
संधुक्ख [ सं + धुक्ष] जो 'संधुक्क'
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राय. ७१:
जंबू. २२६ : संधुक्खित्ता [सन्धुक्ष्य ] खो 'संधुक्केत्ता' जंबू. २२६;
आगमस
संघेमाण [संदधान] सांधवं ते, भेडवुं ते, अनुસંધાન કરવું તે
आया. २००;
संनिकास [सन्निकाश ] समान, तुझ्य जीवा. १६७;
संनिकेत [सन्निकेत ] स्थान, गृह
भग. ४६४ :
संनिक्खित्त [सन्निक्षिप्त] व्यवस्थापूर्वक राजेसुं, ગોઠવેલું
आया. ३५८;
ठा. ४२८;
विवा. २९;
भग. २००;
जीवा. १७६ थी १७९; जंबू. १४:
संनिगास [सन्निकाश] समान, तुल्य, संयोग
भग. ११५, ११६;
संनिचय[सन्निचय] समूह, ४थ्थो
निसी. ५७८;
संनिचित [सन्निचित] हांसी हांसीने लरेस, खेड કરેલ
वहि. ३;
xfafaq [Hfafan) gəùì ‘6342'
भग. ३०७;
संनिट्टिय [सन्निष्ठित] प्राप्त उरेस, भणेस
भग. २९१;
संनिभ [सन्निभ] समान, तुझ्य
उवा. २१:
उत्त. ६२७,८२६,१३८६ थी १३९०; संचार सन्निवृत्तचारिन् ] पाछु वणी यासनार
वव. १९१:
निरिक्[ सं + र् + ईश्] सभ्य रीते निरीक्षए। કરવું
महानि. ४१० :
संनिरुद्ध [सन्निरुद्ध] गृहस्थास वसति
आया. ४२२:
विवा. २४,३२:
संनिलयण [सन्निलयन] खाश्रय, आधार
पण्हा. २३:
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