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आगमसद्दकोसो
विवलीयभासय [विपरीतभापक] 68 पोदाना२ || विवाय [विवाद] भो ‘6५२' अनुओ. २३५:
सूय. ४५३; ठा. ९७५: विवाइय [विपादित] न।। ६२
पण्हा. ३६:
गणि. १८,३८: उत्त. ६७३,६७७;
वीर. १४: विवाग [विपाक] भरिएति, भनु शुभाशुल्म विवाह [विवाह] MA, शाही ફળ
भग. ५४९
पहा. ११.४३: सूय. २५६,३५१; ठा. ३०१:
जीवा. १८५: सूर. १९७ः सम. १३०,२२७;
चंद. २०१: उत्त. ८१३: भग. ३७३,३७८,४५८,४६४;
विवाहचूलिया [विवाहचूलिकासिम ठा. ९७५;
जो.नंदी. १: पन्न. ५३९; भत्त. १५१:
विवाहपन्नत्ति व्याख्याप्रज्ञप्ति (अंग) भागम दसा. १०३ थी ११२;
ठा. ९६१: सम. १: उत्त. २९४.४०९,४१४,६२५,१२६६,
विवाहपन्नत्तिधर [व्याख्याप्रज्ञप्तिधर] 'विवाह१२७९,१२९२,१३०५,१३१८,१३३१,
પન્નત્તિ સૂત્રનાધારક १३४४; नंदी. १०६,१४९ः
उव. २१: विवागय [विपाकको ७५२'
विवाहित [व्याहृत] छिनवेद, सामेथी दावेद उत्त. ९०;
आया. २१३: विवागविजय [विपाकविचय]ीन मनुभावनी विविक्क [विविक्तास्त्री-पशु-
पं थी संसा વિચાર કરવો, ધર્મધ્યાનનો ત્રીજો ભેદ
रहित, हित, वार्डत, मने विध, सुंदर, २१२७, ठा. २६१; भग. ९६८:
પૃથક થયેલ, નિર્દોષ उव. २०3
सूय. १२७: विवागसुय [विपाकश्रुतमे (1) मसूत्र विविक्कचोरिक [विविक्तचोर्यक] योशधारित सूय. ६४३: टा. ९६१:
चउ. ३९ः सम. १,२१५,२२७; भग. ८०० विविच्च [विविच्य] तुष्टुं 4150ने, पृ५५ ७रीने विवा. १,२,४६;
उत्त. १७५: नंदी. १३४.१३८,१४९:
विवित्त [विविक्ता मी विविक्क' अ.नंदी. १: जो.नंदी. १:
आया. ६३.२४९.२५०: ठा. ८०२; अनुओ. ४६.३०९:
भग. ५२०.७०५.९६५: विवागसुयधर [विपाकश्रुतधर] विश्रुत नाम
पण्हा. ३८.४६: दसा. २१; दस. ४०३:
उत्त. ५१२.५२२, સૂત્રના ધારક
१११२.११४१.१२१६.१२५८: उव. २१: अनुओ. १६१:
विवित्तचरिया [विविक्तचर्या स्त्रीसिंगरहितविवाद विवाद/46-विवाह, ॐघडो, 18
રોગદ્વેષ રહિત થઈ સંયમમાં વિચરનાર, आया. १४६: ठा. ५६३:
દસયાલિય' સૂત્રની એક ચૂલિકા भग. १६६.१६९.५४२:
दस. ५२५: उवा. ४६: वव. ६०
विवित्तजीवि [विविक्तजीविन्] स्त्री सह संग उत्त. ५५०
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