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आगमसद्दकोसो
निम्मवइत्तु [निर्मापयित बनावना२ निय [निज/पोतानु, अंत ठा. ३६८;
सूय. ११९; नाया. ११० निम्मा नेमा] ४भीनथी योनी तो प्रदेश पण्हा. १५:
वव. १६२: राय. १५,२७;
निय नियत नियत, नही रेस निम्माण [निर्माण में नामर्नुभन ध्ये सूय. ७३०, संथा. ३०; શરીરના અંગ-પ્રત્યંગની રચના થાય તે
निय [नीत] 45वाये उव. ५१;
नाया. १७६; भत. ३१; निम्माणनाम निर्माणनामन्यो ७५२'
नियइपव्वय [नियतिपर्वत] मे पर्वत सम. ५५,६२,११८;
राय. ३२;
जीवा. १६५: पत्र. ५४०,५४१;
नियइपव्वयग [नियतिपर्वतक] मे पर्वत निम्माय [निर्मात नावेडं, निपुए।
राय. ३२ नाया. १५; उव. ३१,५१,
नियंटित [नियन्त्रित] प्रत्याभ्याननो मे २, जंबू. ५४: दसा. ९९;
ગમે તેવી સ્થિતિમાં પચ્ચખાણન છોડવું તે निम्मित्तवाइ निर्मित्तवादिन] "४गत श्वरे ठा. ९५८; બનાવેલ છે એમ કહેનારમત
नियंट्ट [निर्ग्रन्थ] पासयंतर अन्थी-परिग्रह ठा. ७१२;
રહિત, સાધુ निम्मिय [निर्मित बनावेस, निभाए
आया. ३४७; नाया. ६३; उवा. ११,४५;
नियंठ [निर्ग्रन्थामओ 6५२' अंत. ३:
पण्हा. ११,१९,३३: आया. ३४९: सूय. ७९६,८०३,८०४; राय. ३१: जीवा. १६४;
ठा. १६६,४८३,८७१; जंबू. ७३:
भग. ११२,२१५.५०८,८६१,९०० निम्मिस [निर् + मिष्]inनो परो भावो || उत्त. ३७५,५०५,५३९; भग. ५९८,६३६ः
नियंठत्त [निर्ग्रन्थत्व] ममत्व रहित साधु५j, निम्मिस्सिय [निर्मिषितJiMनो पारो भारे। સાધુતા भग. ५९८ः
भग. ९२४: निम्मुक्क [निर्मुक्त] भुत रेस
नियंठधम्म [निर्ग्रन्थधर्म साधुधर्म नाया. ६२:
उत्त. ७५० निम्मूल [निर्मूल] भूगरहित
नियठिया नैर्ग्रन्थिकी निन्य संभाव पण्हा . ८;
सूय. ४६२: निम्मेर [निमर्यादाभारित, निर्स४ नियंतणा [नियन्त्रणा] स्वाधीनते, नियममi ठा. १५८,१७४,: राय. ४८:
રાખવું તે जंबू. ४९: गच्छा. ९३:
महानि. ६०० दसा. ३५:
नियंतिय [नियन्त्रित] स्वाधीन रेस, नियममi निम्मोयणी [निर्मोचनी] निर्भा , यु
રાખેલા उत्त. ४७५:
महानि. १४८४: निम्मोह [निर्मोह] भोहित
नियंस [नि + वस्] पडेर, धा२९।२ अनुओ. १६१:
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