________________
૯૨
आगमसद्दकोसो
पन्न. ४६४;
पन्न. ४६३; किण्हब्भ [कृष्णभ्र] 11 वा
किण्होभास [कृष्णावभास] अजी प्रमा जंबू. ३४;
उव. ३;
राय. ३०,५६; किण्हमत्तिया [कृष्णमृतिका] आजी भाटी जीवा. १६४,१६५,१७४,१८५; पन्न. २३
जंबू. १९४;
पुष्फि . ५; किण्हमिग [कृष्णमृग] जीया२-tणु ४२५ कितिकम्म [कृतिकर्मन्] शुभी किइकम्म अनुओ. २४९;
ठा. ४३३,४७७; - सम. २२,२४; किण्हमिगाईण [कृष्णमृगाजिन] जीयान || कित्त [कीर्तय] हीर्तन २j, quing ચામડું
सम. ३३१;
भग. ५८६; निसी. ४७९ थी ४८१;
उवा. २२;
राय. ५५; किण्हमिगाईणग [कृष्णमृगाजिन] '७५२' आव. ३;
दस. २१८; आया. ४७९;
अनुओ. ६८; किण्हय [कृष्णक] पृष्
कित्तइत्त [कीर्तयित्] स्तुति २येस पन्न. १४६;
महाप, ११५ थी ११९; किण्हलेस [कृष्णलेश्य] १८ वेश्यावाणो ७१
कित्तण [कीर्तन] quul, प्रशंसा जीवा. १०४;
नाया. १७२; उवा. ४६;
पण्हा, २३; किण्हलेसा [कृष्णलेश्या] वेश्यानो मेह
कित्तय [कीर्तय] स्तुति ४३८, que सम. २४९;
पन्न. ४४७; महाप. ७१; आव. २४;
चउ. ९ उत्त. १३८६,१४०४,१४१६;
कित्तयय [कीर्तयत्] तन ४३ल किण्हलेस्स [कृष्णलेश्य] एसी किण्हलेस
उत्त. ९४१,१५१२,१६४३,१६५८;
कित्ति [कीर्तिी भात, प्रसिद्धि, यश, मेड पन्न. २७०,४५०,४५८,५४४; किण्हलेस्सा [कृष्णलेश्या] एसो किण्हलेसा
मधिष्ठात्री हेवी, मे डूट, सर्व-हिशाजीवा. १०४; पन्न. ४६३,४६४;
વ્યાપી સાધુવાદ,દાનપુન્યફળ किण्हसप्प [कृष्णसर्प] अणो सर्प
सूय. ४५८, ठा. ८८,१८१,२११, राय, १५; भत्त. ६१,८३;
५७३,७०२,८६६; सम. ३२७; किण्हसुत्तय [कृष्णसूत्रक] गोहोरो
भग. ५१८,५२२,६१३,६४५,६७९;
नाया. १३.७१,८७,९१,१६०,१७६; पन्न. ४६३,
उवा, २१ थी २४,३० थी ३५,४७; किण्हा [कृष्णा] मे नही, मे. सश्या
अंत. १३; पण्हा. ११,३३,३७,३९; ठा. ५१३,९०४; भग. ८३४;
जंवू. ६१,६८,७८,१२१; . पुष्फ. २; जंवू. १३,३२;
महाप. ९५;
दसा. ९२; किण्हालेसा [कृष्णलेश्या) हुमी किण्हलेस
दस. ४३३,४७९,४८१; देवि. १९१;
उत्त. ४५,३४२,४४४,५९८,६०९; किण्हासोय [कृष्णाशोक] वृक्ष-विशेष
कित्तिकर [कीर्तिकर] यश ४२नार राय. १५
तंदु. ६३; किण्हासोस [कृष्णाशोक] वृक्ष-विशेष || कित्तिकूड [कीर्तिकूट] ति शि५२
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org