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(सुत्तंकसहिओ)
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दुक्खभागि [दुःखभागिन] हुना मागी || दुखुर [द्विखुर] ने पुरीछ वा पशु पण्हा. ८,१५; जंवू. ९६,
सूय. ६८९;
ठा, ३७७; दुक्खम [दुःक्षम] ५ ६४२, सहन ४२ जीवा. ४४;
पन्न. १६१% भुरद
उत्त. १६४४; उत्त. ७४३;
| दुग [द्विक के दुक्खविवाग [दुःखविपाक अशुभ भनोवि- || सूय. ६०१;
ठा. ९६१; અનુભાવ
भग. ६७९, जंबू. ३०९; महाप. १२५;
अनुओ. १६३; दुक्खसमुद्द [दुःखसमुद्र] हुन समुद्र ३५ || दुगंछणा [जुगुप्सा निंदनीय वस्तु, मेथी भत्त. ११५;
થતી ધૃણા दुक्खसह [दुःखसह] हुन सन २२ आया. ५६;
आया. ३१५; दस. ४१४; दुगंछा [जुगुप्सा] शुओ 6५२' दुक्खसेज्जा [दुःखशय्या] ६:५६य वसति- || पिंड. ५८५, उत्त. १३४८; જેના ચાર ભેદ છે
दुगंछिय [जुगुप्सित] हिशत वस्तु, निंधवस्तु उत्त. ६४५;
आव. ३६,
ओह.७०० थी ७०२; दुक्खहेउ [दुःखहेतु मन तु३५ दुगंध [दुर्गन्ध] हुध, ५२ वास, नामभत्त. १६५;
કર્મની એક પ્રકૃત્તિ-જેના ઉદયથી જીવ દુર્ગધ दुक्खावणया [दुःखापन] हुन लत्पत्ति પામે भग. १८१;
दस. १७६; दुक्खि [दुःखिन्] दु:
| दुगंधत्त [दुर्गन्धत्व] घि आया. ८३,१०८,५४४;
भग. २८०; सूय. १५४,३१५,३४९;
दुगुंछ [जुगुप्स्] शुगुप्सा ४२वी, धृ॥ ४२वी दुक्खिय [दुःखित] दुः५ पाभेट
| तंदु. १०३ सूय. ९३;
तंदु. २८,५४; || दुगुंछणा [जुगुप्सना भी 'दुगंछा' उत्त. १०१,५७४;
उत्त. ७५२; दुक्खुत्तार [दुःखोत्तार] ४६:५शने ॥२ री दुगुंछणिज्ज [जुगुप्सनीय] धृ॥-हुगुप्सा ४२वा શકાય તે
યોગ્ય पण्हा. ८,१५,
तंदु. ११३;
उत्त. ४२५, दुक्खुत्तो [द्विस्] मेवमत
दुगुंछमाण [जुगुप्समान] गुप्सा तो आया. ३३८; ठा. ४५०
आया. ७५; सूय. ५५१,५९९, सम. १६१; जीवा. २०३;
७५१,७६८,७७८,७८२; सूर. २०; चंद. २४;
उत्त. १२८; निसी. ५९८,७८८;
दुगुंछा [जुगुप्सा] शुभी 'दुगंछा' बुह. १३७,१३८;
ठा. १८४,८८४; सम. ५१,६०;
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