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[सुत्तंकसहिओ]
૩૯
पन्न. ३०७,३२२,३२३,३५२,३५६,३५८ || पुष्फि. ३,५; तंदु. १११: थी ३६०,३८२ थी ३८६,३९४,३९७, || कत्तिय [कार्तिक] १२० भास ४०५ थी ४१२,४१५,४१६,४३५ थी। ठा. ३०४; भग. ६३९,७२७,७५६; ४४१,५०८,५१०,५१६,५१९ थी ५२१, नाया. ६७,७१; उत्त. १०२१; ५२५,५३४,५३९,५४०,५७२,५७३,५८०, अनुओ. २४०; ५८९,५९६ थी ५९८;
कत्तियपाडिवय [कार्तिकप्रतिपत्] १२त१६ सूर. ७६,१९५; चंद. ८०,१९९; એકમ जंवू. २२,२०१;
निसी. १३४४; कतो [कुतस्] स्यांथी
कत्तिया [कार्तिकी] १२ पूनम ठा. ६३०; उवा. ४४;
सूर. ४८ थी ५०; चंद. ५२ थी ५४; जीवा. १००; पन्न. ३३४;
कत्तिया [कृतिका] मे नक्षत्र सूर. ३५; चंद. ३९;
ठा. ४४९,५६८,५९०,७९५,१००६; कत्त [कन्तु] sing
सम. ६
जीवा. ३००; पिंड. ५७४,
सूर. ४२ थी ४९,५१ थी ५४,५६,६९, कत्त [कृत] ५g, छेवू,
७०,७२,८६,८७,१०५; सूय. ९५,२४२,४४०;
जंवू. ३०२,३०३,३३१,३३२; पण्हा. ८; संथा. ४८;
अनुओ. २४०; कत्तण [कर्तन] जयनार, छेनार
कत्तियादेव [कृतिकादेव] ति नक्षत्रना है सम, २२७
अनुओ. २४०; कत्तर [कर्तर] तर, ५वान साधन कत्तियाधम्म [कृत्तिकाधर्म] कृतिधर्म उवा. २१;
अनुओ. २४०, कत्तरिमुंड [कर्तरिमुण्ड] इतर 43 मुंडन 5२८ || कत्ती [कृति] शुभो ‘कत्ति' दसा. ५३;
नाया. ८७; कत्तार [कर्ता] ७२नार
कत्तु [कर्तृ] उता, ७२नार पिंड. १७३;
भग. ७८२; उत्त. ४२९,७४९; कत्ति [कृत्ति] याम
कत्तो [कुतः] यांथी ओह, ३९;
नाया. ८६; कत्तिई [कार्तिकी) २ पूनम
पन्न. ३२६,३३४,३३७,३४० थी ३४४; सूर. ५०; जंवू. ३३१; जंवू. ९५; कत्तिगी [कार्तिकी] २त पूनम
उत्त. १२७८,१२९१,१३०४,१३१७,१३३०,
१३४३; जंवू. ३३१; कत्तिम [कृत्रिम] कृत्रिम
कत्तोच [कुतस्य ज्यांनो जंवू. ४७,४८,१४०,१६७;
पिंड १९८; कत्तिय [कृतिक) मे नक्षत्र
कत्थ [कथ्] हे ठा. ४४९;
आया. १०५; सूय. ६०२; सम. ७,१०,६३,११३,३६१;
नाया. ४९; देविं. ८ जंवू. २७८,२८५,३३१;
कत्थ [कथ्य] वा योग्य
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