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JAINA TERMS : PRAKRIT TO ENGLISH/HINDI
ग्रंथ - संकेत
आव.व. -- आवश्यक वृत्ति (अध्य 2,3,4) -- हरिभद्रसूरि आव.सू. --- आवश्यक वृत्ति (भा. 1,2) -- आव.व. -- आवश्यक वृत्ति -- आ.मलयगिरि आव.सू. -- आवश्यक सूत्र (भा.3) --- आव.व. --- आवश्यक सूत्र वृत्ति -- आ.मलयगिरि आव.हरि.व.मल.हेम.टि. -- आवश्यकसत्र हरिभद्रविरचित वत्ति पर टिप्पण -- मलधारगच्छीय हेमचन्द्रसूरि इष्टोष. -- इष्टोपदेश -- पूज्यपादाचार्य इष्टोप.टी. -- इष्टोपदेश टीका -- पं. आशाधर उत्तरा. -- उत्तराध्ययन सूत्र -- उत्त.ने.व. -- उत्तराध्ययन सुबोधा वृत्ति -- नेमिचन्द्राचार्य उत्तरा.सू. -- उत्तराध्ययन सूत्र (प्रथम विभाग) -- उत्तरा.नि. -- उत्तराध्ययन नियुक्ति -- भद्रबाहु उत्तरा.शां.व. -- उत्तराध्ययन नि.वृत्ति -- शान्ति सूरि उपदे.प. उप.प. --- उपदेश (प्रथम वि.) -- हरिभद्रसूरि उपदे.प.टी. -- उपदेशपद टीका -- मुनिचंद्रसूरि उपदे. प., उप. -- उपदेशपद (द्वितीय वि.) -- हरिभद्रसूरि उपदे.प.टी. -- उपदेशपद टीका -- मुनिचंद्रसूरि उपदे.मा. -- उपदेशमाला -- धर्मदास गणी । उपासका. -- उपासकाधाययन --- सोमदेवसूरि ऋषिभा. -- ऋषिभाषित सूत्र -- ओपनि.व. -- ओघनिर्युति (सभाष्य) -- वृत्तिकार द्रोणाचार्य औपपा. -- औपपातिक सूत्र -- ओपपा.अभय.व. -- ओपपातिक सूत्रवृत्ति -- वृत्तिकार अभयदेव अंगप. -- अंगपण्पत्ती -- शुभचंद्राचार्य कर्मप्र. -- कर्मप्रकृति -- वाचक शिवशर्मसरि कर्मप्र.चू. -- कर्मप्रकृति चूर्षि -- कर्मप्र. मलय.व. -- कर्मप्रकृति वृत्ति -- मलयगिरि कर्मप्र.यशो.टी. -- कर्मप्रकृति टीका -- उपाध्याय यशोविजय कर्मवि.ग. -- कर्मविपाक -- गर्ग महर्षि कर्मवि.पू.व्या. -- कर्मविपाक व्याख्या -- कर्मवि..परमा.वृ. -- कर्मविपाक वृत्ति -- परमानन्दसूरि कर्मवि.दे. -- कर्मविपाक -- देवेन्द्रसूरि कर्मवि.दे.स्वो.द. -- कर्मविपाक वृत्ति -- देवेन्द्रसूरि कर्मस्त. -- कर्मस्तव. -- कर्मस्त.गो.द. -- कर्मस्तव वृत्ति -- गोबिन्द गणी कल्पसू. --- कल्पसूत्र -- भद्रबाहु । कल्पसू. स.व. -- कल्पसूत्रवृत्ति -- समयसुन्दर गणी कल्पसू.विनय.व. -- कल्पसूत्र वृत्ति -- विनयविजय गणी
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