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________________ fata ] छिद्दिय. त्रि० ( छिद्रित) छिद्रयुक्त; छिद्र वाला. Porous, गउड० छिन्न. त्रि० ( छिन्न ) निर्धारित निश्चित Determined; Resolved. बृह० १; - मडंब. त्रि० ( छिन मडम्ब) जिस गांव या शहर के समीप में दूसरा गांव वगैरह नहीं. A village or a city where there is no other village etc. in its neigh bourhood or vicinity. निसी० चू०१०; छिवण. न० (स्पर्शन) स्पर्श; छूना. Touching : उप० १८७ टी; ६७७; ( २६१ ) छिवि. त्रि० ( स्पृष्ट ) ( १ ) छुआ हुआ. Touched. (२) स्पर्श; छूना A touch से० २, ८, छिहा. स्त्री० ( स्पृहा ) स्पृहा; अभिलाषा, Desire; Ambition. कुमा० हे० १, कुमा० छ. त्रि० (ती) तय प्राप्त; दुर्बल; कृश; Destroyed. हे० २, ३, गा० ८४; छीयंत. त्रि० (वत्) छींक करता. Sneezing. ती० छीर न० (तीर) (१) जल; पानी Water. (२) दुग्ध; दूध. Milk. हे ०२, १७, गा०५६७, बुक्कारण. न० ( धिक्कारण ) धिक्कारना; निंदा. Scorning; Hating. बृह० २; छुच्छ. त्रि० ( तुच्छ ) तुच्छ; तुद्र; हल्का. Trifling; Mean. हे० १, २०४; छुरि. ० ( छुरित) व्याप्त. Pervaded. (२) लिप्त. Besmeared. पउम० २८,२८, छुरी. स्त्री० ( तुरी ) छुरी; चाकू. A knife. प्रासू० ६५; १२८; षड्० छिहि. त्रि० ( स्पृष्ट) छुना हुआ. Touched. छुहा. स्त्री० ( सुधा ) ( १ ) अमृत पीयूष. Nectar. हे० १, २६५; कुमा० - श्रर. पु० (कर) चन्द्र चन्द्रमा, The moon. पडू ० छुहारा. त्रि० ( चुधित) भूखा; बुभुक्षित. छुट्ट. त्रि० ( छुटित ) छूटा हुआ; बन्धन- मुक्त. Released. सुपा० ४०७; सुक्त० ८६; छुट्टण न० ( छोटन ) छुटकारा; मुक्ति, Salvation. श्रा० २७; छुराण. त्रि० ( गण ) ( १ ) चूर्णित; चूर २ किया हुआ. Pounded; Levigated. ( २ ) विहत; विनाशित; Destroyed; Jain Education International Perished. ०२, १७; प्राप्र ० हे० [ छेत्र अभ्यस्त Practised. छुत्त. त्रि० (छुप्त ) स्पृष्टः छुआ हुआ. Touched. हे० २, १३८; कुमा० बुध. त्रि० (दुध) भूखा, Hungry. प्राकृ०२२; छुर. पुं० (तुर) (१) पशु का नख; खुर. A nail of an animal. ( २ ) वृक्ष-विशेष; गोखरू, A kind of tree. (३) बाया; शर; तीर. An arrow. हे० २, १७; प्राप्र ० छुरण, न० (तुरण) अवलेपन, Besmearing. कप्पू० रहत्थ. पुं० (सुरहस्त ) नापित; हजाम A barber. दे० ३, ३१; Hungry. पात्र • छुहाउल. त्रि० (सुदाकुल ) भूखा; बुभुक्षित. Hungry. गा० ५८१; छुहालु त्रि० ( चुधालु ) भूखा, बुभुक्षित, Hungry. उप० पृ० १६०; १५० टी; छेत्र त्रि० ( छेक ) विशुद्ध निर्मल. Pure; Clean. पंचा० ३,३५; ३८, (२) न० कालोचित हित. Proper benefit. धर्मसं० ५४३; छेत्र. पु ं० (छेद) विनाश; नाश. Destruction; Ruin. सुर० ५ १६४ ( २ ) शुद्धि परीक्षा का एक अंग; धर्म-शुद्धि जानने का एक लक्षण. A kind of examining. पंचव० ३; छे अग. त्रि० (छेदक) छेदन करने वाला; काटने वाला, A cutter. विशे० ५१३; | छेश्रण. न० (छेदन) (१) निश्चायक वचन, A For Private Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.016017
Book TitleArdhamagadhi kosha Part 5
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRatnachandra Maharaj
PublisherMotilal Banarasidas
Publication Year1988
Total Pages897
LanguagePrakrit, Sanskrit, Hindi, Gujarati, English
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size22 MB
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