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आख्यानकमणिकोशवृत्तिकार आम्रदेवसूरि तथा वृत्तिप्रशस्तिसारांश
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प्रस्तुत ग्रन्थ का मुद्रणकार्य वाराणसी में हुआ है । प्राथमिक प्रूफ वाचन श्री पं. कपिलदेव जीने एवं अन्तिम प्रूफ वाचन भारतीय दर्शनों के गंभीर अभ्यासी श्री पं. दलसुखभाई मालवणिया, ने कर के हमारा बोझ हलका किया है । अतः उन्हें धन्यवाद देता हूँ । इस प्रस्तावना का हिन्दी अनुवाद श्री रूपेन्द्र कुमारने किया है । वे भी हमारे धन्यवाद के पात्र हैं ।
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चैत्रकृष्णा १ ता. २१-३-६२ नसावाडा, मोटी पोल के सामने
जैन उपाश्रय, अहमदाबाद
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निवेदक
मुनिश्री पुण्यविजयजी की आज्ञानुसार विद्वज्जनविनेय
पं. अमृतलाल मोहनलाल, भोजक
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