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आख्यानकमणिकोशे
तत्तो रन्ना सयमे पुच्छिया तुज्झ सीलमइ ! वच्छे ! | केरिसगुणो कहिज्ज रुच्च हिवयम्स भत्तारो ? ॥ १४३ ॥ किं चाई ? किं सूरो ? किं वा विउसो ? कयन्नुओ ? सुहओ ? | गंधव्वकला निउणो ? परोवयारी ? दयालू वा ॥ १४४ ॥ ईस अहमुहीए सलज्जमेईए जंपियं ताय ! । जो को वि हु तुह रोयइ सो चिय मह सम्मओ भत्ता ॥ १४५॥ तो भणियं नरवणा ईसिसमुन्ना मिऊण मुहकमलं । उवरोहसीलयाए बच्छे ! न सुहाई कज्जाई ॥ १४६ ॥ जइ एवं ता एसो तुह मल्लो महियले वऽपरिभूओ । जिप्पिस्सइ जेण बली सो मह भत्ता किमवरेण ? || १४७ || तो नायं नरवणा ऐसा हु बलाणुराइणी बाला । ता भद्दं परमिमिणा सवे वि पराजिया बलिणा ॥ १४ ॥ तो तं विसन्नचित्तं दद्धुं भणियं पहाणपुरिसेहिं । अज्ज वि देव ! जयंतीए अस्थि अपरिक्खिओ एगो ॥१४९॥ नरसीहसुओ बलपोरिसंक्करसिओ रसायलपसिद्धो । नरविक्कमाभिहाणो सो वि परिक्खिज्जउ नरिंद ! ॥ १५० ॥ सामत्थिऊण सम्मं तयत्थमहमेत्थ पेसिओ सामि ! | तो नरवणा चयणं निरिक्खियं निययतनयस्स ॥ १५१ ॥ तणाचि पणमिणं भणियं देवाणुभावओ भव्वं । होही सव्वं पेसवह ताय ! मं तत्थ किं बहुणा ? ॥ १५२ ॥ तो मंतिऊण सामंत-मंति- नायरजणेण सह रन्ना । पेसविओ हरिसउरे हिट्टो नरविक्कमकुमारो || १५३ ॥ अम्मइयाए नियमहत्तमो देवसेणनरवइणा । कुमरस्स पेसिओ चडयरेण चउरंगबलकलिओ ॥ १५४ ॥ तो गरुयविभूईए सोहण दिवसे पवेसिओ नयरे । नर-नारिनियरनयणाण किमवि परमूसवो कुमरो ॥ १५५ ॥ सयणा - Ssसण-बहु परिवारसंजुओ धवलघयव डसणाहो । कुमरस्स वासगेहं समप्पिओ पवरपासाओ || १५६ ॥ वीयम्मद भणिओ रत्ना कुमरो महऽस्थि सीलमई । नामेण कन्नया सा [प]भणइ जो कालमेहमिमं ॥ १५७ ॥ मह मल्लमपडिमल्लं परिभविही होहिही स मे भत्ता । सह कित्ति जयवडायाहिं कुमर ! ता गिण्हसु तयं ति ॥ १५८ ॥ अंगीकयम्मि कुमरेण सज्जिया नयरपरिसरे रम्मे । मंचाइमंचकलिया वित्थिन्ना मल्लरंगमही ॥ १५६ ॥ नर-नारिनियरसहिए उबविट्टे देवसेणनरनाहे । सिरिकुमर- कालमेहा समागया रंगभूमी ॥ १६० ॥ आबद्धनिबिडकच्छा संजमियसिद्धि के सपव्भारा । दोन्नि वि निजुद्धनिव्वडियपोरुसा साहसेक्करसा ॥ १६१ ॥ दहूण कालमेहो कुमरं संहणणदुद्धरिसदेहं । पुन्नक्खयाओ खिप्पं खुहिओ चित्तम्मि बलिओ वि ॥ १६२॥ चितइ य एस रन्नो वल्लहजामाउओ जणाणुपिओ । ता जय-पराजएसुं कुओ वि मह नत्थि कल्लाणं ॥ १६३ ॥ इय भयसंभमवसओ फुट्ट हिययं तडति मल्लस्स । कुमरस्स साहुवाओ संजाओ रंगमज्झमि || १६४॥ तत्तो य कलानिहिणो कंठे बलसालिणी कुमारस्स । पक्खित्ता वरमाला कुमरीए नेहरज्जु व्व ॥ १६५॥ अणुवो संजोगो विहिणा विहिओ समाणमेयाण । जाओ साहुक्कारो अहो ! सुवरियं ति जणमज्झे ॥ १६६॥ तत्ता सोहण दिवसे पाणिग्गहणं करावियं रन्ना । मंगलगीयरवेणं वज्जिरवरतूरनिवहेण ॥ १६७॥ पइमंडलमेईए तह हय-गय- रहवराइयं दिन्नं । रन्ना जह नयरजणो सम्वो वि धुणाविओ सीसं १६८ ॥ कइय विदिणाणि नरवर वणमणुभविय मंगलं राया । मोयाविओ सनयरं पर गमणत्थं कुमारेण ॥ १६९ ॥ तत्तोय सत्यदिणे चउरंगमहाबलेण परियरिओ । संपत्थिओ कुमारो विढवियससिनिम्मलजसोहो ॥ १७० ॥ तत्तो पिउणा दुस्सहविओगतुट्टंतनेहपासेण । सिक्खचिया सीलमई समुरकुलं पत्थिया तइया ॥ १७१ ॥ वच्छं ! गुणवियले विहु जणणी-जणयाण धुवमवच्चम्मि । को वि अपुव्वो नेहो तेण हियत्थं भणामि तुमं ॥ १७२ ॥ निप्पंक सुवन्नसमुज्जला वि सुइसीलसोरभजुया वि । केयइफडस व्व सुया परोवयाराय निम्मविया ॥ १७३॥ तावच्छे ! तत्थ गया सुविणीया होमु ससुरवग्गस्स । अविणीओ जलणो इव जण पत्तिो वि संतावं ॥ १७४॥ निनाममणुसरन्ती सीलम्मि मई सया वि मा मुयमु । सोलरयणे विणट्टे न सुन्दरं उभयलोगे वि ॥ १७५ ॥ नियमत्तणो करेज्जसु सयमासण-भोयणाइयं कज्जं । भत्तारदेवयाओ नारीओ जेण एस सुई ॥ १७६ ॥ पद्दणोऽभिमएसु य नम्मभासणा तस्स पुण अमित्तंसु । विहियावन्ना पियभासिणी य सञ्वम्मि परिवारे ||१७७॥ ससुराईण गुरुणं भत्ता नमिरा नणंदवगम्मि । हरिसियमणा सवक्किसु पइबंधुयणम्मि ससिणेहा ॥१७८॥
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