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इसिभासियाई अक्खं अक्षम् 25.55.13
|-अग्गिणा -अग्निना (देखो, कोहग्गिणा, अक्खयं अक्षयम् 9.17.9; 23.45.18; | दवग्गिणा) 33.73.4 गा.9
अग्गिसंभमे अग्निसंभ्रमे 24.47.10 गा.1 अक्खाइओवदेसेहिं आख्यायिकोपदेशैः |-अग्गिस्स -अग्नेः (देखो, कोवग्गिस्स, 41.91.30 गा.12
कोहग्गिस्स) अक्खाईयइ आख्याति 27.59.11 गा.4 | अग्गिहोत्तकुण्डं अग्निहोत्रकुण्डम् -अक्खात- -आख्यात-(देखो, अप्प- 37.83.18 डिहतापच्चक्खातपावकम्मा)
अग्गी अग्निः 4.11.2 गा.21; 29.65.10 -अक्खाय- -आख्यात- (देखो, | गा.17; 36.81.6 गा.1 सुक्खायधम्मस्स)
|-अग्गी -अग्निः (देखो, कोवग्गी, अक्खेज्जा आख्यायेत् 25.55.13 | दवग्गी ) अक्खेविणं आक्षेपिणाम् 36.81.27 | अग्घती अर्हति 41.93.3 गा.13 गा.11
-अग्घस्स -अय॑स्य (देखो, महग्घस्स) अक्खोवंगो अक्षोपाञ्जनम् 45.101.11 |-अग्घेयं -अर्घ्यम् (देखो, अणग्घेय) गा.48
अघट्ट अघट्टम् 45.99.8 गा.31 अक्खोवंजणं अक्षोपाञ्जनम् 4.11.5 अचलं अचलम् 21.41.7 गा.23
| अचल जाव चिटुंति अचल यावत् अखलीणं अखलीनम् 22.43.22 गा.6 तिष्ठन्ति 18.37.3 (अचलमव्वाअगणिकाए अग्निकायः 10.23.3; बाहमपुणब्भवमपुणरावत्तं सासतं ठाण22.43.9; 25.55.16,19
मब्भुवगता चिटुंति) 3.5.18 अगणिकायं अग्निकाय: 25.55.16,19 |अचल जाव ठाणं अचल यावत् स्थानम् अगन्धणे अगन्धनः 45.99.25
24.47.9 (अचलमव्वाबाहमपुणब्भवअगारवे अगारवः 35.77.15
मपुणरावत्तं सासतं ठाणं) 3.5.18 अगारंसि आगारे 38.85.8 गा.2 |अचिरेण . अचिरेण 10.23.103; अगूहन्ते अगूहन् 35.77.15
36.81.25 गा.10 -अग्गं -अग्रम् (देखो, अनवदग्गं)। अचोरे अचोर 4.9.24 गा.14, 25 गा.15 -अग्गहणा -अग्रहणात् (देखो, पुण्ण- अच्चन्तसुखं अत्यन्तसुखम् 38.85.4 गा.1 पावऽग्गहणा)
| अच्छइ आस्यति 9.17.21 गा.6 -अग्गि- -अग्नि- (देखो, कडग्गि- |-अच्छण्णो -आच्छादितः (देखो, भासदाहणाई)
च्छण्णो) अग्गिणा अग्निना 36.81.14 गा.5 अच्छती अच्छती 8.15.11 गा.1
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