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मुझे यह जानकर बड़ी प्रसन्नता हुई कि गत वर्षों की भांति इस वर्ष भी भगवान महावीर की पावन जयन्ती समारोह पर महावीर जयन्ती स्मारिका, राजस्थान जैन सभाद्वारा निकाली जा रही हैं ।
भगवान महावीर ने विश्व को "जीश्रो और जीने दो" का मूल मंत्र दिया। आज के युग में इस बात की नितान्त आवश्यकता है कि हम उनके इस आदर्श का अनुसरण करें और युद्ध की आशंका से त्रस्त मानव समाज को शांति की राह बतायें । उनके अनुसार हमें जीने का अधिकार है पर दूसरे की जिन्दगी छीनने का अधिकार नहीं । दूसरे का जीवन छीन कर हमें अपना जीवन समृद्ध बनाने का कोई अधिकार नहीं है । जिस विश्व बन्धुत्व, पंचशील और सहप्रस्तित्व की बात हम करते हैं वह तभी साकार हो सकती है जब हम उनके "जीओ और जीने दो' के सिद्धान्त का पूर्ण अंशों में पालन करें ।
आज के इस युग में जब कि बुराइयां अच्छाइयों पर बुरी तरह हावी हो रही हैं हम महापुरुषों के प्रादर्शों पर चल कर ही समभाव समाज व्यवस्था कायम करा सकते हैं । मुझे आशा ही नहीं बल्कि पूर्ण विश्वास है कि "श्री महावीर जयन्ती स्मारिका" में ऐसे लेखों का समावेश होगा जो कि आम जनता के नैतिक एवं चारित्रिक उत्थान में सहायक होंगे ।
इस शुभ अवसर पर मेरी शुभ कामनाएं प्राप सब के साथ हैं ।
जयपुर
मुझे यह जानकर बड़ी प्रसन्नता हो रही है कि हर वर्ष की भांति इस वर्ष भी भगवान महावीर के पावन जयन्ती समारोह पर महावीर जयन्ती स्मारिका दर्शन शास्त्र के प्रसिद्ध विद्वान पण्डित चैनसुखदासजी न्यायतीर्थ के सम्पादकत्व में प्रकाशित हो रही है । भगवान महावीर ग्रहिंसा के पुजारी थे । ग्राज देश में ही नहीं बल्कि सारी दुनिया में हिंसा से ही शान्ति रह सकती है। इस अवसर पर मैं ग्रापके प्रकाशन की सफ़लता की कामना चाहता हूँ ।
जयपुर
रामप्रसाद लड़ा उप मंत्री, राजस्व, खनिज एवं देवस्थान, राजस्थान
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हरिश्चन्द्र
मंत्री, निर्माण, विद्युत और उद्योग, राजस्थान
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