________________
64. वही, गा० 222, 65. वही, गा० 228, 66. वही, गा० 230, 231, 67. वही, गा० 269, 68. वही, गा० ३09 69. वही, गा० 332 70. आवश्यक नियुक्ति 79-86 71. गणधरवाद प्रस्तावना, पृ० 15-6 72. जैन साहित्य का बृहद् इतिहास, भा० 2, पृ० 70 73. आगम और त्रिपिटक; एक अनुशीलन, भा० 2, पृ० 459 74. तिलोयपण्णत्ती, गा० 1478, 82-84 75. परिशिष्ट पर्व, सर्ग 9 श्लोक 112 76. स्थविरावली चरितम् 9/59 77. भद्रबाहु चरित्र, द्वितीय परिच्छेद, श्लोक 88-90 78. क) दशाश्रुतस्कन्धसूत्र, नियुक्ति, गा०1
ख) आचारांग सूत्र, शीलांकाचार्य कृत टीका, पत्र-4 ग) बृहत्कल्प पीठिका, मलयागिरी कृत टीका पत्र-2
घ) ओघ नियुक्ति, द्रोणाचार्य कृत टीका, पत्र-3 79. और त्रिपिटकः एक अनुशीलन, भा० 2, पृ० 534-35 पर उद्धृत 80. वही पृ० 536 81. मुनि पुण्यविजय, “छेदसूत्रकार और नियुक्तिकार" महावीर जैन विद्यालयः रजत महोत्सव ग्रन्थ, पृ 185 82. वही, पृ 187 83. अनुयोगदायिनः सुधर्मस्वामिप्रभत्यः यावदस्य भगवतो नियुक्तिकारस्य भद्रबाहुस्वामिनश्चर्तुदशपूर्वधर
स्याचार्योऽतस्तान् सर्वानिती। आचारांग सूत्र शीलाकांचार्य कृत टीका पत्र-4 84. निशीथचूर्णि, उद्देश 11 'खंड द्वितीय, पत्र 8-9
(पाटण संघवी पाडा की ताडपत्रीय प्रति) 85. सागरमल जैन, नियुक्ति साहित्यः एक पुनर्चिन्तन, श्रमण, अंक 6, वर्ष 45, अप्रैल-जून 1994, पृ० 203-233
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org