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मनि श्री रूपचन्द जी महाराज
जैतारण, जिला पाली, राजस्थान जनवरी १५, १९८५
शभ कामना
दिल्ली में ८, ६, एवं १० फरवरी, १९८५ को हो रहे तृतीय विश्व जैन सम्मेलन की सफलता की हम मंगल कामना करते हैं। भारत के अतिरिक्त विदेशों में भी अब जैन धर्म के प्रचार-प्रसार के लिए अच्छा कार्य आरम्भ हो गया है। वहां जैन संस्कृति एवं संस्कारों को जीवित रखना भी आवश्यक है।
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