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ऐसी लगती है, जैसे विद्याभ्रष्ट कोई विद्याधर बाला आकाशसे गिर रही हो। तेजीसे इधर-उधर दौड़ती हुई वह ऐसी लग रही है, मानो गरुड़की तेज गतिसे भयभीत कोई नागकन्या इधर-उधर दौड़ रही हो। तीव्र-गतिसे आगे बढ़ती वह ऐसी लगती है मानो जनताके कोलाहलसे घबराकर कोई अश्व-किशोरी स्थान-भ्रष्ट हो भागी जा रही हो। ...":"गांठोंसे टपकते जल कणोंसे वह ऐसी लगती है मानो कोई नवोढ़ा पतिके वियोगमें प्रांसू बहा रही हो। क्षणभरकी स्थिरता से वह ऐसी लगती है, मानो कोई योग-परिव्राजिका दूसरोंको ठगने के लिये कपटपूर्ण ध्यान कर रही हो।
अस्तु, जहाँ तक मैं सोचती हूं प्रागम-साहित्य के प्रति यदि हमारा दृष्टिकोण सम्यक् हो जाता है तो कोई कारण नहीं, उसकी रसात्मकता और लयात्मकतामें भी हमें नीरसता या विसंगतियोंकी प्रतीति हो।
जैसाकि पूर्व में बताया जा चुका है, जैन-पागम विशुद्ध अध्यात्म-शास्त्र है। अध्यात्मकी यात्रा पर यात्रायित व्यक्ति इनका अनुशीलन कर चैतन्य जागरण .. सम्यक्त्वसे लेकर मोक्ष प्राप्ति तककी समग्र प्रक्रिया जान-समझ सकता है। फिर भी वर्तमानके सन्दर्भ में यदि हम पूर्व मान्यतामों और प्रतिबद्धतानोंसे ऊपर उठकर व्यापक दृष्टिसे आगमोंका अध्ययन-अनुशीलन करें तो पाएंगे कि आधुनिक युगकी सर्वाधिक चचित और मान्य सभी ज्ञान-शाखाओंका विकसित और प्रामाणिक प्राधार हमें यहां उपलब्ध होता है। भौतिक विज्ञान (Physics) afafaara (Dynamics) रसायन-विज्ञान (Chemistry) गणित (Mathematics) जीव-विज्ञान (Biology) मनोविज्ञान (Psychology) परामनोविज्ञान (Parapsychology)
इन समग्र विषयों से सम्बन्धित प्रचुर-सामग्री प्रागमों में बिखरी पड़ी है। मनुष्य के शरीर-निर्माण और व्यक्तित्व निर्माणकी दृष्टिसे माता-पिता का क्या अनुदान रहता है, इस दृष्टिसे ठाणं द्रष्टव्य है। प्रागम-ग्रन्थों में निर्दिष्ट गर्भाधान कृत्रिम गर्भाधान और गर्भसंक्रमणकी प्रक्रिया को जानने वाला व्यक्ति वैज्ञानिक उपलब्ध "परखनली शिशु" पर आश्चर्यचकित नहीं होता।
यह निर्विवाद है कि न्यूटन द्वारा उद्घोषित पृथ्वी के गुरुत्वाकर्षण सिद्धान्त की प्रस्थापना से पूरा वैज्ञानिक जगत् उपकृत हुया है, लेकिन परम वैज्ञानिक भगवान् महावीरने विभिन्न पृथ्वियों के गुरुत्वाकर्षणके प्रभाव क्षेत्रका तथा अन्य पृथ्वियोंके निवासियों पर होने वाले उसके प्रभावका प्रतिपादन आज से २५०० वर्ष पहले ही कर दिया था।
इसका अध्ययन अन्तरिक्ष अनुसंधान कार्य में अपना विशिष्ट महत्त्व रखता है।
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