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मानवेन्द्रनाथ राय के दर्शन में नैतिक मूल्य
डॉ.अशोक कुमार सिंह ABSTRACT
सहायक प्राध्यापक शा.स्नातकोत्तर महाविद्यालय, मन्दसौर
दार्शनिक दृष्टि से सम्पन्न भारतवर्ष में महत्वपूर्ण दार्शनिकों की सूची में एम.एन.राय का नाम अग्रगण्य है । राय समकालीन भारतीय दार्शनिकों में कदाचित एकमात्र भौतिकवादी दार्शनिक है जिन्होंने भारत के साथ विश्व की भी महत्वपूर्ण समस्याओं पर अपने मौलिक विचार भौतिकवादी दृष्टिकोण से प्रस्तुत किय । राय ने राजनैतिक, आर्थिक, सामाजिक, धार्मिक मुद्दों के साथ ही नैतिकता पर भी मौलिक ढंग से विचार किया है । नैतिक मूल्यों पर विचार के इस महाकुम्भ में राय के नेतिक मूल्यों सम्बन्धी विचारों का अध्ययन समीचीन होगा ।
सर्वप्रथम प्रश्न उठता है नैतिकता क्या है ? नैतिकता का अंग्रेजी पर्याय Morelity. है जो लेटिन
शब्द Mores. से किया गया है । जिसका अर्थ है रीतिरिवाज अथवा अभ्यास का प्रचलन । इस प्रकार वही बातें नैतिकता अथवा कर्तव्य-अकर्तव्य का मापदण्ड बन जाती है जो मानव के लिए शुभ हो और जिसका स्वरूप रीति-रिवाज एवं सामाजिक प्रचलन का हो । साथ ही प्रश्न सामने आता है मूल्य क्या है, मूल्य दार्शनिक जगत में एक महत्वपूर्ण शब्द है । वास्तव में मनुष्य जो भी कार्य करता है उसके मूल्य को अपनी दृष्टि में रखता है । उसकी चेतना में यह बात बराबर रहती है कि किसी कार्य को सम्पादित करने पर उसको क्या लाभ होगा जो कि उस कर्म का मूल्य है । मूल्य का सम्बन्ध मानव की भावना से ओत-प्रोत है इसी कारण "दार्शनिक उन मूल्यों को जानना चाहता है जिनमें मनुष्य के कर्म, भाव तथा विचार को दिशा
प्राप्त हो ।
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