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हैं । व्यवसाय में लगे कतिपय जैन परिवार भी वहां रहते हैं पर इन सब के लिये प्रतिदिन 'देव दर्शन' जैसी आवश्यकता को पूरा करने वाला कोई जिन चैत्य वह नहीं था । गत फरवरी माह में जयपुर के भाई श्री जिनेश्वरदास जी जैन सहायक निदेशक ( इलेक्ट्रोनिक्स) ने अपने निवास स्थान D-11 ' सीरी कालोनी, पिलानी में एक जिन चैत्य की स्थापना करके एक बहुत बड़ी कमी को दूर कर दिया। जिन चैत्य में अष्ट धातु की 6 इन्च ऊंची भगवान शान्तिनाथ की पद्मासन प्रतिमा है । यह प्रतिमा 'अहिंसा मन्दिर' दरियागंज दिल्ली के अध्यक्ष श्री राजकिशोरजी जैन द्वारा उपलब्ध कराई गई है। श्री राजकिशोरजी इस प्रतिमा
को दिल्ली से पिलानी स्वयं अपनी कार में लाये । पिलानी में प्रतिमाजी के आने पर भव्य स्वागत किया गया । श्री जिनेश्वरदासजी के निवास स्थान तक एक भव्य शोभा यात्रा द्वारा प्रतिमाजी को ले जाया गया ।
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इस प्रकार राजस्थान प्रान्त में अनेक स्थानों पर जैन धर्म, जैन साहित्य आदि के प्रचार प्रसार निमित्त अनेक बन्धु सक्रिय हैं, वे सब बधाई के पात्र हैं । उपर्युक्त संस्थानों के अतिरिक्त अनेक संस्थाये और हैं, पर अभी केवल इतना - शेष फिर कभी ।
पुरुषार्थ की जय
ईश्वरवादी मानते हैं कि अज्ञानी जीव अपने सुख-दुःख का स्वामी नहीं है । ईश्वर की प्रेरणा से वह स्वर्ग अथवा नरक में जाता है। महावीर ने प्रत्येक श्रात्मा को परमात्मा बन सकने की शक्ति से सम्पन्न माना है । अपने ही दुष्कर्मों से जीव दुर्गति का भागी होता है और अपने ही पुरुषार्थ से निर्वाण प्राप्त करता है । श्री कैलाशचन्द सिद्धान्त शास्त्री
पंजाब नेशनल बैंक, तिजारा
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