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फिरोजाबाद जैन समाज का जो भी वैभव है वह प्रौषधालय-औषधि दान में भी यहां का इन्हीं चन्द्रप्रमु भगवान का फल है तो कोई अति- जैन समाज पीछे नहीं है। उसकी अोर से यहां शयोक्ति नहीं होगी। स्व. सेठ छदामीलाल जी का तीन धर्मार्थ औषधालय चलाये जा रहे हैं। ये हैं जैन नगर और वहा का मन्दिर तो वर्तमान शैली श्री मोतीलाल जैन औषधालय, श्री चन्द्र ग्रोषधाऔर कला का बेमिसाल अद्भुत नमूना है, जिसकी लय और चन्द्रप्रभु धर्मार्थ औषधालय । ये नगर चर्चा हम अलग से करेंगे।
की अच्छी सेवा कर रहे हैं। यहां के कई जैन वैद्य __ शिक्षा क्षेत्र में भी अग्रणी-शिक्षा के क्षेत्र भी इस पुण्य-कार्य में जुटे हुए हैं सो अलग। में भी यह नगर पीछे नहीं है। यहां का पी० डी० मोतीलाल उद्यान-यहाँ एक ऐसे सार्वजैन इन्टर कालेज प्रदेश की शिक्षा संस्थानों में जनिक स्थान का प्रभाव बहत खटकता था, जहां प्रमुख स्थान रखता है। कालेज का भवन व द्वार बैठ कर यहां का नागरिक अपनी दिनभर की बड़े ही आकर्षक, भव्य और मनोहारी हैं । प्रतिभा थकान व चिन्ताओं को दूर कर सके । यहां की जैन के धनी श्री नरेन्द्रप्रकाशजी जैन यहां के सर्वप्रिय समाज ने विशेष कर स्व० सेठ छदामीलालजी ने प्रधानाचार्य हैं । श्री छदामीलाल जैन डिग्री मोतीलाल पार्क का निर्माण कराकर यह कमी भी कालेज और दिग. जैन कन्या इन्टर कालेज भी दर करा दी। नगर का शिक्षित तथा व्यापारी ऐसी ही उच्च स्तरीय संस्थाएं हैं, जिन पर यहां वर्ग यहां के स्वच्छ सुन्दर वातावरण में बैठ कर का जैन समाज गर्व कर सकता है। इनके अति- सुख शान्ति से अपने तनाव पूर्ण जीवन के कुछ रिक्त श्री दिय. जैन विद्यालय छोटी छपेटी, क्षण व्यतीत कर अपना मन बहला लेता है, खास पन्नालाल जैन विद्यालय गली लोहियान, प्राचार्य कर गर्मियों के तपते दिनों में । विमलसागर विद्यालय नई बस्ती, महावीर ।
नगर के गौरव सेठ सा० और जैन नगरविद्यालय नई बस्ती, महावीर विद्यालय अटावाला तथा दिग. जैन विद्यालय चौकी गेट आदि और भी।
श्री श्री चन्द्रप्रभु जिनालय के अतिरिक्त यहां के प्रमुख
अाकर्षण हैं स्व० सेठ छदामीलालजी और उनका कई प्राथमिक तथा नर्सरी स्कूल है, जहां लौकिक
अद्वितीय मनोहारी जैन-नगर । यदि फिरोजाबाद शिक्षा के साथ साथ बालकों में धार्मिक संस्कार भी अंकुरित किये जाते हैं।
के साथ इनका उल्लेख न किया जाय तो वह मात्र
कांच और चिमनियों का ढेर रह जायेगा। सेठ धर्मशालाएं-यात्रियों की सुविधा के लिए छदामीलालजी इस नगर के प्राण थे, यहां की भी यहां की जैन समाज जागरुक है। इस हेतु शान थे। वे यहां के कणकण में बस गये थे। उनकी यहां पांच धर्मशालाएं हैं। ये हैं सैंट्रल उनके पूर्वज कभी चन्द्रवार के निवासी थे जब कि टाकीज के पास श्री मूलचन्द्र पुरुषोत्तम दिग. जैन वह एक समृद्ध राज्य था और वहां के राजा जैन धर्मशाला, श्री मुन्शी बंशीधर धर्मशाला गली थे। राजदरबार में इनके पूर्वजों को अच्छा लोहियान में, श्रीमती सरस्वती दिग. जैन धर्मशाला
सम्मान प्राप्त था। चद्रवार के पतन के साथ वे अागरा गेट पर, श्री प्यारेलाल धर्मशाला कोटला भी फिरोजाबाद आ बसे। मार्ग पर तथा जद्दमल की धर्मशाला अटांवाला। यात्रियों को तो इन धर्मशालाओं से सुविधा मिली सेठजी का जन्म यहां १२ जून, सन् १८६६ ही हैं, स्थानाभाव की इस कठिन स्थिति में विवाह को हुआ था उनके पिताजी थे मोतीलालजी और बरातों के लिए भी ये वरदान सिद्ध हुयी है। मातु श्री कुन्दनबाई । वे पढ़े लिखे तो मामूली ही
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