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तृतीय खण्ड
साहित्य और संस्कृति
1. कूटस्थ श्रुत केवली आचार्य कुन्द कुन्द
प्रो० श्री रंजन सूरिदेव
22. अमृतचन्द्र की देन
श्री कैलाशचन्द्र शास्त्री
असद्भूत व्यवहार नय वस्तु धर्म का प्रतिपादन
श्री रतनचन्द जैन
4. प्राकृत भाषा एवं आधुनिक भाषा
डा० प्रेमसुमन जैन
5. संस्कृति की दो धारायें
डा० बी० सी० जैन
6. प्राचार्य कुन्दकुन्द के प्राकृत साहित्य का
सूफीवाद और रहस्यवाद पर प्रभाव
डा० दामोदर शास्त्री
7. अपभ्रश एवं हिन्दी जैन साहित्य में
शोध के नये क्षेत्र
डा० कस्तूरचन्द कासलीवाल
8. उत्तर पुराण कालीन सामाजिक जीवन
डा० प्रेमचन्द जैन
9. क्षपक का समाधिकरण
क्षपक व आराधक की समानार्थकता
पं० बालचन्द शास्त्री
10. भारतीय दर्शनों में मोक्ष चितन
डा० उदयचन्द्र जैन
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