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________________ और उपयुक्त अहर्गणना से हम निकटतम आंग्ल दिनांक निकाल सकते हैं । निकटतम इसलिये कि उपर्युक्त अहर्गणना मध्यम मान से है । मध्यममान व स्पष्ट तथा सूक्ष्म मान में कहीं कहीं १ दिन तक का फर्क रह जाता है क्योंकि तिथि में क्षय व वृद्धि भी होती है। और कभी कभी पंचागों में तिथि भेद भी होता है। यदि तिथि के साथ सप्ताह का दिन (बार) अंकित हो तो सही अंग्रेजी तारीख प्राप्त हो सकती है। लेकिन भगवान् महावीर के जीवन काल की घटनाओं की चांद्र तिथियों के साथ कहीं भी वार का प्रामाणिक उल्लेख नहीं मिला । यदि मिल जाता तो जन्म के संवत का भी सही निर्णय हो सकता । अतः गणना से जो भी प्राप्य है वही मानना पड़ेगा। ___भ० महावीर का जीवन काल ईसवी सन् के पूर्व वर्षों का है। ईसवी सन् के पूर्व वर्षों को निर्देश करने के लिये (ई० पू०) अक्षरों का व्यवहार होता है। इतिहास वेत्ताओं की परिपाटी है कि १ ई० सन् के पूर्व वर्ष को, १ ई० पू० वर्ष कहते हैं और उससे पूर्व वर्ष को २ ई० पू० । किन्तु गणित शास्त्र के सिद्धान्तानुसार यह परिपाटी अवैज्ञानिक है। हिन्दी विश्वकोष (ना० प्र० स० काशी द्वारा प्रकाशित) के काल क्रम विज्ञान लेख के अनुसार ईसवी सन् १ के पूर्व वर्ष को० ईसवी वर्ष और उससे पूर्व वर्ष को ऋणचिह्न से अर्थात् (-१ ईसवी) लिखना चाहिये । जिससे अंतराल के वर्षों की गणना में भ्रम न हो । विक्रमसंवत के लिये भी यही प्रणाली उचित है। इसके अतिरिक्त भ० महावीर के जीवन काल के वर्षों को निर्देश करने के लिये गतकली संवत् का प्रयोग और अधिक स्पष्टता द्योतक है। यह संवत् भगवान् के जन्म से लगभग २५०० वर्ष पूर्व से चलता आया है। आज भी सब ही पंचागों में उल्लिखित रहता है । विक्रम संवत् २०३१ में गतकलि संवत ५०७५ था। विक्रम संवत् में ३०४४ मिलाने से यह संवत् जाना जा सकता है और वर्ष प्रारंभ तथा वर्षमान समान है। अंग्रेजी तारीखों की गणना में एक बात और ध्यान में रखना आवश्यक है। आज कल सामान्यतः ईसवी सन् वर्ष में ३६५ दिन होते हैं और प्रति ४ वर्ष में १ वर्ष ३६६ दिन का। शताब्दियों के वर्षों में ४ शताब्दियों में केवल १ शताब्दी में ३६६ दिन होते हैं। शताब्दियों के वर्षों में यह विशिष्ट व्यवस्था प्राचीन काल में नहीं थी । सन् १५८२ तक शताब्दी सहित सब वर्षों में प्रति चार वर्ष में १ वर्ष ३६६ दिन का गिना जाता था। जुलियन दिनांक गणना में ४७१३ ई० पू० या ४७१२ ईसवी की १ जनवरी से इसी प्रकार दिन गणना होती है और नाविक पंचांगों में आज भी प्रत्येक दिन का जुलियन दिनांक दिया रहता है । सन् १५८२ में पोप ग्रेगरी के आदेशानुसार नई व्यवस्था के साथ ३ अक्टूबर के बाद का दिन १४ अक्टूबर घोषित किया गया था। अर्थात् १० तारीखें तोड़ी गई या गिनती में बढाई गई थी। इस संशोधन को कुछ ईसाई देशों ने तत्काल माना और अन्य देशों ने अलग अलग समय में । इंग्लैंड में सन् १७५२ में २ सितम्बर के बाद का दिन १४ सितम्बर इस संशोधन के अनुसार घोषित हुआ और भारत ने भी इसी का अनुकरण किया। महावीर जयन्ती स्मारिका, 76 3-27 Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.014032
Book TitleMahavira Jayanti Smarika 1976
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBhanvarlal Polyaka
PublisherRajasthan Jain Sabha Jaipur
Publication Year1976
Total Pages392
LanguageEnglish, Hindi
ClassificationSeminar & Articles
File Size22 MB
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