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भगवान महावीर के जन्म, दीक्षा, केवल प्राप्ति एवं मोक्षधाम की अंग्रेजी तारीखें
श्री प्यारचन्द मेहत्ता
सी 29, मधुवन, उदयपुर । महावीर जयंती स्मारिका १६७५ (बारहवां अंक) में श्री प्रतापचन्द्र जैन का लेख खण्ड १ पृष्ठ ४१ पर प्रकाशित हुआ है, उसमें विद्वान लेखक महोदय ने भगवान महावीर के जन्म, दीक्षा, केवल प्राप्ति एव मोक्ष धाम की चांद्र तिथियों के साथ प्रांग्ल दिनांक एवं सप्ताह के दिनों (वारों) का उल्लेख किया है। आजकल की पद्धति के अनुसार किसी भी ऐतिहासिक घटना के समय का विवरण प्रांग्ल दिनांक एवं ईस्वी सन् संवत्सर में करना आवश्यक हो गया है । लेखक इस बात के लिए बधाई के पात्र हैं । किन्तु उक्त लेख में दिया हुआ अंग्रेजी तारीखों व वारों का विवरण असंगत जान पड़ता है। मैने स्मारिका के प्रधान सम्पादक महोदय से लेखक महाशय का पता पाकर उनसे तर्क युक्त प्रश्नों के साथ स्पष्टीकरण चाहा तो विद्वान् व वयोवृद्ध सज्जन ने अपने 17 जून सन् 1975 के पत्रोत्तर में दीक्षा व केवल प्राप्ति की तारीखों में भूल होना स्वीकार कर लिखा कि ये जो अंग्रेजी तारीखें हैं वो उनकी स्वय की खोज या गणना नहीं है, उन्होंने मेरठ व इंदौर से प्रकाशित कुछ पुस्तकों से लिया है। मोक्ष धाम की तारीख वार का कोई स्पष्टीकरण नहीं किया तथा जन्म की तारीख व सन् संवत के विषय में यह भी बताया कि जयधवला भाग | के अनुसार भगवान महावीर की आयु जन्म से निर्वाण तक 70 वर्ष 6 महीने 18 दिन की थी, गर्भकाल का समय 9 महीने 7 दिन 12 घंटे और जोड़ने पर 71 वर्ष 3 महीना और 25 दिन होते हैं। 72 वर्ष की उनकी आयु स्थूल रूप से बताई जाती है। प्रादि-2 । इससे अन्य अधिक मान्यता के अनुसार कुल आयु जन्म से निर्वाण तक जो 72 वर्ष 7 माह 17 दिन मानी जाती है उसमें मतभेद पैदा होता है। किन्तु उक्त पत्रोत्तर से यह स्पष्ट हो जाता है कि श्री प्रतापचन्द्र जैन के लेख में दिया हुआ अंग्रेजी तारीखों का विवरण संदिग्ध एवं असंगतिपूर्ण है । साथ ही आवश्यकता इस बात की भी हो जाती है कि भगवान् महावीर के जीवनकाल की प्रमुख घटनाएं जन्म दीक्षा, केवल प्राप्ति एवं मोक्ष धाम का विवरण अंग्रेजी तारीखों में सही गणना एवं प्रामाणिक गणना विधि के आधार पर हो । भगवान महावीर के जीवन काल की उपयुक्त घटनामों का विवरण हिन्दी चांद्र तिथियों में इस प्रकार मिलता है :जन्म-चैत्र शुक्ला 13 स्थान कुंडलपुर बैसाली । समय अर्ध रात्रि । दीक्षा- अधिक मान्यता के अनुसार 30 वर्ष की आयु में अर्थात् 30 वर्ष 7 माह 12 दिन पर मार्ग
शीर्ष कृष्णा 10 और जयधवला के अनुसार 28 वर्ष 7 माह 12 दिन पर दीक्षा ग्रहण । केवलप्राप्ति-दीक्षा से 12 वर्ष तक भिन्न भिन्न स्थानों पर चातुर्मास करने का सर्वमान्य विवरण
प्राप्त है और लगभग 121 वर्ष पश्चात् वैसाख शुक्ला १० को दिन के तीसरे पहर जुमिक गांव में केवलज्ञान प्राप्त हुआ। गणना से उस वर्ष दो वैसाख थे। यह दूसरा बैसाख प्रतीत होता है। क्योंकि ऐसा भी प्रसंग मिलता है कि उन्होंने १२ वर्ष और १३ पक्ष तक घोर साधना व तपस्या की थी।
महावीर जयन्ती स्मारिका 76
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