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________________ 'स्मारिका' का ऐतिहासिक महत्व है। यह अपने सूरी, श्री तुलसी, मुनि श्री सुशील कुमार, जनक आप में सन्दर्भ ग्रंथ बन गयी है। विजय, मुनि नथमल तथा मुनि विद्यानंद का क्रियात्मक योगदान रहा। इसके तुफल स्वरूप राजस्थान प्रांतीय भगवान् महावीर २५०० वां जैनधर्म का एक संकलन तैयार किया गया। निर्वाण महोत्सव गहासमिति, जयपुर द्वारा प्रकाशित 'वीर-निर्माण-स्मारिका' (सन् १९७५) स्वयं में आचार्य श्री तुलसी तथा मुनि श्री नथमल के अतीव उपादेयता से परिपूर्ण है। इसके प्रधान सान्निध्य एवं परामर्श तथा डा० महावीर राज सम्पादक भंवरलाल पोल्याका हैं और सम्पादक- गेलड़ा के संयोजन में सन् १९७५ में, निर्वाण-पर्व मण्डल में डा. नरेन्द्र भानावत, डा० मूलचंद सेठिया, । की समापन बेला में, जयपुर में पष्ठ अधिवेशन विनय सागर और केवलचंद ठोलिया हैं। इसके अत्यन्त सफलतापूर्वक सम्पन्न हुआ जिसमें समूचे प्रबंध सम्पादक कपूरचंद पाटनी एवं पन्नालाल । देश भर से आये चालीस विद्वानों ने भाग लिया। बांठिया हैं। उनके पठित निबंधों में अत्यन्त महत्वपूर्ण सामग्री श्री महावीर नवयुवक मण्डल, जयपुर द्वारा मिलती है। भगवान् महावीर की जीवनी के विभिन्न विगत तीन वर्षों से 'महावीर निर्वाण स्मारिका' पक्षों पर शोध-निबंधों का संग्रह एक पुस्तक के रूप में जैन विश्व भारती प्रकाशित कर रही है। यह प्रकाशित हो रही है। भी प्रस्तावित किया गया कि जैन-साहित्य में जिन शोध-वाङमय में तीर्थङ्कर महावीर : विषयों पर शोध किया जा सकता है, उनकी एक भगवान महावीर स्वामी पर हिन्दी में विपूल सूची तैयार की जाए ताकि शोध करने वालों को मार्ग-दर्शन मिल सके। शोधकार्य हुआ है और उन पर अनेक शोध आलेख प्रकाशित हुए है। शोध की दिशा में जैन विश्व भारती सर्वथा विक्रम विश्वविद्यालय, उज्जैन से डा. हरीन्द्र- अग्रणी एवं अभिनंदनीय है। उसकी त्रैमासिकी भूषण जैन के निर्देशन में डा० शोभानाथ पाठक ने मुखपत्रिका 'तुलसी प्रज्ञा' में विशिष्ट महत्व के 'संस्कृत एवं प्राकृत जैन-साहित्य में महावीर-कथा' शोधपत्र प्रकाशित होते हैं। नामक विषय पर शोध प्रबंध प्रस्तुत करके, पी.एच. विक्रम विश्वविद्यालय, उज्जैन द्वारा आयोजित डी. की उपाधि प्राप्त की। द्विदिवसीय संगोष्ठी में 'भारतीय संस्कृति को भगवान् महावीर स्वामी के पच्चीस सौ वें भगवान महावीर की देन' विषय पर अनेक विद्वानों महापरिनिर्वाणोत्सव के उपलक्ष्य में सन १६७४. ने शोधपत्र का पठन-पाठन किया। ७५-७६ में अनेक शोध संगोष्ठियां समूचे देश भर इसी प्रकार इन्दौर विश्वविद्यालय ने भी इसी में सम्पन्न हुई हैं जिससे हिन्दी में तविषयक विपुल निर्वाण रजत शती के उपलक्ष में अपरिग्रह का शोध सामग्री प्रकाश में आयी है। भगवान महावीर के सन्दर्भ में आधुनिक एवं निर्वाणोत्सव वर्ष के श्रीगणेश में संत प्रवर अन्तर्राष्ट्रीय परिप्रेक्ष्य में विशद् विवेचन किया प्राचार्य विनोबा भावे की प्रेरणा से जैन धर्मसार- गया। अवधेश प्रतापसिंह विश्वविद्यालय तथा संगीति का नई दिल्ली में आयोजन हुआ जिसमें जीवाजी विश्वविद्यालय, ग्वालियर के तविषयक सर्वश्री प्राचार्य श्रीदेशभूषण, धर्मसागर, विजय समुद्र आयोजन भी महत्वपूर्ण रहे । 2-34 महावीर जयन्ती स्मारिका 76 Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.014032
Book TitleMahavira Jayanti Smarika 1976
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBhanvarlal Polyaka
PublisherRajasthan Jain Sabha Jaipur
Publication Year1976
Total Pages392
LanguageEnglish, Hindi
ClassificationSeminar & Articles
File Size22 MB
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