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________________ महावीर - साहित्य के निर्माण में डा० निजामु द्दीन का नाम भी अविस्मरणीय है । उनकी पुस्तक 'जितेन्द्र महावीर' सरल सुबोध भाषा तथा सीधीसुलभी शैली में लिखी गयी है । बोध- साहित्य : हाल ही में हिन्दी में भगवान् महावीर स्वामी के तत्व-चिंतन को परोक्षरूप में छोटी-छोटी कविताम्र और लघु आख्यायिकाओं में सफलता तथा सार्थकतापूर्वक पिरोया गया है। इस दिशा में दिन कर सोनवलकर, वीरेन्द्रकुमार जैन, नईम, नेमीचंद पटोरिया, कन्हैयालाल सेठिया आदि के नाम उल्लेखनीय हैं । विचार- मासिक 'तीर्थङ्कर' ( इन्दौर ) बोधसाहित्य को हिन्दी में लाने का सर्वप्रथम पुरोधा है । मिनी कविताएं : तीर्थङ्कर महावीर के व्यक्तित्व और उनके सिद्धांतों को मिनी कविताओं के माध्यम से प्राज के संघर्षरत, व्यस्त, आकुल व्याकुल तथा संत्रस्त मानव के समक्ष उपस्थित किया गया है। मुनि रूपचन्द्र, दिनकर सोनवलकर, जयकुमार 'जलज,' नईम इत्यादि ने इस दिशा में सार्थक कविताएं लिखी 1 मुनि रूपचन्द्र के कविता संग्रह 'भीड़ भरी प्राँखें' ( सन् १९७५ ) की कविताओं में युगीन जीवन की विसंगतियों का यथार्थ चित्रण मिलता है और पुनः मानव मूल्यों की प्राण-प्रतिष्ठा की गयी है । इसी मिनी कविताएं हृदय को कचोटती हैं और अपना अमिट प्रभाव छोड़ देती हैं। इनमें कहीं अध्यात्म की चर्चा है तो कहीं इन्सान की दुर्बलतात्रों की । कवि की दृष्टि अत्यन्त पैनी और कहीं-कहीं व्यंग्यमयी है । गीतिकाव्य में तीर्थङ्कर महावीर : हिन्दी के सर्वथा नए और ताजे साहित्य में महावीर को गीति काव्य के प्रचुर प्रसाधनों से सुरु महावीर जयन्ती स्मारिका 76 Jain Education International चिपूर्वक प्रलंकृत किया गया है। गीतकार राम भारद्वाज की पुस्तक 'महावीर - गीतिका' एक महत्वपूर्ण कृति है । इसमें मार्मिक गीतो में निबद्ध भगवान् महावीर के जीवन प्रसंग चित्रित किये गये हैं । यह गीति काव्य काव्य की शोभा - श्री और लोक गीतों की सहज - चारुता से सर्वथा सम्पन्न है । गीतों की क्रमबद्धता में एक सम्पूर्ण अभिनव कार्यक्रमों का प्रस्तुतीकरण मिलता है । यह हिन्दी में एक सर्वथा नूतन प्रयास है । जैन साध्वियों ने भी महावीर को अपने सुमधुर और ललित गीतों में पिरोया है । साध्वी श्री अणिमा श्री की 'महावीर - गीतिका' का उल्लेख उपर हो चुका है। मुनि श्रीधनराज ( प्रथम ) का राजस्थानी में 'भगवान् महावीर री जीवन-झांकी' गीत अतीव मधुर है । तुव्रत परामर्शक मुनि श्रीनगराज डी० लिट् ने अपने गीत-संग्रह 'मंजिल की ओर' में वर्द्धमान स्तुति, वीर जिनेश्वर और महावीर जयंती नामक तीन गीत लोक धुनों पर लिखे हैं । मुक्तक काव्य में तीर्थङ्कर महावीर : तीर्थङ्कर महावीर के जीवन प्रसंगों तथा प्रभाव सूत्रों को लेकर हिन्दी में बड़े पैने, सुबोध तथा मर्मस्पर्शी मुक्तक लिखे गये हैं । मुनि श्रीरूपचन्द्र, साध्वी श्री भीखां, मुनि श्री चौथमल आदि के मुक्तक प्रसिद्ध हैं । मुनि चौथमल के महावीर विषयक मुक्तकों को बड़ी लोकप्रियता मिली है । अनुवाद साहित्य में तीर्थंकर महावीर : कतिपय कविमनीषियों ने तीर्थङ्कर महावीर की वाणी को पद्यानुवाद रूप में प्रस्तुत किया है । भगवान् महावीर की अमृत वाणी को हिन्दी पद्यानुवाद में प्रस्तुत करने का सफल प्रयास मुनि श्री मोहनलाल 'शार्दूल' ने किया है । For Private & Personal Use Only 2-29 www.jainelibrary.org
SR No.014032
Book TitleMahavira Jayanti Smarika 1976
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBhanvarlal Polyaka
PublisherRajasthan Jain Sabha Jaipur
Publication Year1976
Total Pages392
LanguageEnglish, Hindi
ClassificationSeminar & Articles
File Size22 MB
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