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________________ गौतमबुद्ध की अहिंसा का क्षेत्र मानव तक सीमित प्रतीत होता है। जब कि महावीर का प्रारिण मात्र तक विशाल है । कहा भी है "आप तुले पयासु" जैनग्रंथ सूत्र कृतांग १, ११, ३ अर्थ - सभी प्राणियों को अपने समान समभो । जई मज्झकारणा एए, हम्मंति सुबहूजिया । नमे एयं तु निस्सेसं परलोगे भविएसेई ॥ उत्तराध्ययन सूत्र २२, १४ अर्थ -- यदि मेरे कारण से बहुत से जीवों का घात होता है तो यह इस लोक और परलोक के लिए किंचित भी श्रेयस्कर नहीं है । फिर हिंसक का मांसाहार से सम्बन्ध कैसे उचित ठहराया जा सकता है ? गौतम बुद्ध ने ८० वर्ष की आयु में शरीर त्याग किया । उनके समय के विषय में इतिहासकारों में मतभेद है पर बहुमान्य आधुनिक मतानुसार उनका समय ईसा पूर्व ५६३ वर्ष से ४८३ वर्ष तक माना जाता है । महात्मा गांधी वे आधुनिक युग की विभूति थे । आपका जन्म २ अक्टूबर सन् १८६६ ई० को गुजरात प्रान्त की तत्कालीन पोरबन्दर रियासत के दीवान करमचन्द गांधी की पत्नी पुतलीबाई के गर्भ से हुआ था। इनका नाम मोहनदास था । घर में धार्मिक वातावरण के कारण बचपन से ही इन पर अच्छा प्रभाव पड़ा। भारत में शिक्षा प्राप्तकर वैरिस्टरी पास करने इंग्लैण्ड गये। वहां से वापिस आने पर तत्कालीन सुप्रसिद्ध आध्यात्मनेता शतावधानी श्रीमद्राजचन्द जैन सम्पर्क में अहिंसा और सर्व समभाव का महत्व समझा । गांधी ने स्वयं अपने चरित्र में श्रीमहराजचन्द के अनुपम 2-24 Jain Education International प्रभाव को माना । २० वर्ष से भी अधिक समय तक गांधी जी ने दक्षिणी अफ्रीका में रहकर वहाँ भारतीयों के कष्ट निवारण के लिए अहिंसा के प्रयोग किये भारत । आने पर धीरे-धीरे देश के स्वतन्त्रता- प्रान्दोलन की डोर संभाली और अहिंसा द्वारा देश में नवचेतना जाग्रत करते हुये अन्त में सन् १९४७ में भारत को स्वतन्त्र कराया । ३० जनवरी १६४८ को देहली में प्रार्थना सभा में जाते समय नाथूलाल गोडसे की गोली से आपका स्वर्गवास हो गया । गांधी के पूर्व अहिंसा केवल धर्म और सम्मान की वस्तु रह गई थी और उसका सम्बन्ध केवल परलोक से समझा जाता था । कुछ लोग अहिंसा को भारत की परतन्त्रता का कारण मानते थे । गांधीजी ने इस भ्रांति को हटाया और महावीर की भांति उसे जीवन के प्रत्येक क्षेत्र में उपयोगी बनाया | उनका सत्याग्रह हिंा पर आधारित था, वे एक भी अंग्रेज की हत्या करके स्वतन्त्रता नहीं चाहते थे । भारत के अतिरिक्त अन्य कई देशों ने भी अहिंसा से ही स्वतन्त्रता प्राप्त की और विश्व शांति के कार्य में भी उससे सहायता मिली । उन्होंने सभी क्षेत्रों में अहिंसा का आग्रह किया तथा जीवन भर उस पर चले । वे दुबले-पतले होने पर भी अहिंसा के बल पर निर्भय थे । पर गांधी जी की अहिंसा को देश ने राजनैतिक अस्त्र के रूप में अपनाया । वह धर्म नहीं बन सकी । नेता मांसाहारी ही बने रहे तथा देश के खानपान में भी सुधार नहीं हुआ । क्या ही अच्छा हो कि हम अहिंसा के वास्तविक रूप को पहिचानें और उसके प्रत्येक पहलू को समझकर उससे सच्चा प्रकाश प्राप्त कर अपने जीवन और विश्व को आलोकित करें । महावीर जयन्ती स्मारिका 76 For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.014032
Book TitleMahavira Jayanti Smarika 1976
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBhanvarlal Polyaka
PublisherRajasthan Jain Sabha Jaipur
Publication Year1976
Total Pages392
LanguageEnglish, Hindi
ClassificationSeminar & Articles
File Size22 MB
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