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________________ के लिए जब युक्ति से काम नहीं चला तो छल, जैनधर्म त्याग और तप पर बहुत बल देता जाति, निग्रहस्थान आदि के रूप में वाक्जाल का है। उन्हें जीवन शुद्धि का सर्वोत्तम उपाय मानता उपयोग होने लगा। जब उससे भी काम नहीं है और यह ठीक भी है। किन्तु जब पूजाप्रतिष्ठा चला तो गालियाँ प्रारंभ हुई । और अन्त में के लिए उनका प्रदर्शन होने लगता है तो वे वाक्दंड, शरीरदंड में परिणत हो गया। तत्वनिर्णय अपने स्थान से गिर जाते हैं । उत्थान के स्थान के लिए बौद्धिक चर्चा का स्थान मल्लयद्ध ने ले लिया। पर पतन का कारण बन जाते हैं। your आवश्यकता इस बात की है कि ज्ञान का विकास के लिए यह आवश्यक है कि हम उपयोग दूसरे पर आक्रमण के स्थान पर प्रात्म अपनी प्रत्येक शक्ति को ठीक रास्ते पर लगाए । विश्लेषण में किया जाय । ऐसा होने पर ही जैन समाज अपना और विश्व हम देख रहे हैं कि आध्यात्मिक साहित्य का का कल्याण साध सकेगा। हम यह दावा करते हैं अध्ययन लुप्तप्राय होता जा रहा है। उसके स्थान कि अनेकांत और अहिंसा के द्वारा विश्व की पर ऐसे साहित्य का अधिक प्रचार हो रहा है जो समस्त समस्याएं सुलझ सकती हैं । किन्तु जब तक जन साधारण को प्राकृष्ट कर सके । व्याख्यानों में उनके द्वारा हम निजी समस्याओं को सुलझाना प्रात्मा तथा विश्व के वास्तविक स्वरूप का प्रतिपादन नहीं सीखते तब तक इस दावे का कोई अर्थ नहीं करने के स्थान पर साम्प्रदायिक भावनायें उभारने है। जैन समाज यदि विश्व को अपने सिद्धांतों की की बातें अधिक कही जाती है। जिस का लक्ष्य प्रोर प्राकृष्ट करना चाहता है तो उसे स्वयं प्रायः अपने को ऊंचा और दूसरे को नीचा दिखाने प्रयोगशाला बनना होगा । तभी वह कह सकेगा का होता है । अात्मविकास के लिए प्रोत्साहित कि हमारे पास वह शक्ति है जो संसार को समस्त करना नहीं। समस्याओं को सुलझा सकती है। महावीर ने कहा था कामा दुरति कम्मा इच्छाएं अपार होती हैं। अप्पारणं पिन कोवए । अपने पर भी क्रोध मत करो। न हि वेरेन वेरानि सम्मतीध कदाचन । वैर से वैर कभी नहीं मिटता । महावीर जयन्ती स्मारिका 16 1-171 Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.014032
Book TitleMahavira Jayanti Smarika 1976
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBhanvarlal Polyaka
PublisherRajasthan Jain Sabha Jaipur
Publication Year1976
Total Pages392
LanguageEnglish, Hindi
ClassificationSeminar & Articles
File Size22 MB
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