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________________ की स्थिति अत्यन्त शोचनीय थी। समाज में उन्हें उड़द के वाकुले पड़े हों, वह देहली के बीच खड़ी हेय समझा जाता था। समाज में उन्हें न्यूनतम हो, हाथों में हथकड़ियां और पैरों में बेड़ियां हों, सुविधा मात्र उपलब्ध थी। पत्नी को पति की आंखों में आंसू हों, औठों पर मुस्कान हो, सिर सम्पत्ति पाने का अधिकार नहीं था। भगवान् मुण्डित हो, वह स्वयं तीन दिन से भूखी हो, भिक्षा महावीर ने विधवाओं पर होने वाली यन्त्रणामों का समय बीत चुका हो, ऐसी स्थिति में यदि कोई तथा उत्पीडनों को कम करने में अपना पूर्ण राजकुमारी दासी बनी हुई भिक्षा देती है तभी सहयोग दिया। उनके इन प्रयत्नों के फलस्वरूप मैं आहार ग्रहण करूगा अन्यथा नहीं। मन में सार्थवाही जैसी अनेक स्त्रियों को उनके पति की यह संकल्प धारण कर भगवान् 5 मास और 25 मृत्यु के अनन्तर उनकी समस्त सम्पत्ति का स्वामी दिन तक भ्रमण करते रहे। अचानक चन्दनबाला घोषित किया गया जो तत्कालीन समाज के नियमों ने महान तपस्वी को भिक्षुक के रूप में सामने के विरुद्ध था। पाया । इस राजकन्या में ये सारी बातें थी। प्रभु ___ स्त्री जाति के प्रति उनकी उदार भावनाओं ने पाहार ग्रहण किया। चन्दनबाला धन्य हो गयी और धन्य हो गईं वे समस्त नारियां जिनका का परिज्ञान इस तथ्य से भी होता है कि उन्होंने जीवन दलित, शोषित एवं पतित था। स्वयं अभिग्रह धारण किया था कि वे दलित एवं शोषित नारी के हाथ से ही भिक्षा ग्रहण करेंगे। नारी स्वातन्त्र्य के विविध आयाम यदि महाभगवान् की प्रतिज्ञा में 13 बातें सम्मिलित थीं। वीर के समत्व सिद्धान्त के आधार पर अग्रसर उनका अभिग्रह था-कोई राजकुमारी दासी बनी हों तो सम्भवतः जीवन रथ का दूसरा पहिया भी हुई हो, उसके हाथ में सूप हो, सूप के कोने में उतना ही सक्षम हो सकेगा। * विदुषी नारी * विद्यावान् पुरुषो लोके, सम्मति याति कोविदः । नारी च तद्वती धत्ते, स्त्रीसृष्टेरग्रिमं पदम् ॥१८॥ -इस लोक में विद्वान् पुरुष विद्वानों द्वारा सम्मानित होता है और यदि नारी विदुषी हो तो उसकी गणना संसार की समस्त स्त्रियों में प्रधान रूप से होती है। ----प्रादिपुराण पर्व १६ महावीर जयन्ती स्मारिका 76 1-93 Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.014032
Book TitleMahavira Jayanti Smarika 1976
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBhanvarlal Polyaka
PublisherRajasthan Jain Sabha Jaipur
Publication Year1976
Total Pages392
LanguageEnglish, Hindi
ClassificationSeminar & Articles
File Size22 MB
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