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________________ हमें प्रसन्नता है कि कि उसी परम्परा को कायम रखते हुए स्मारिका का यह चौदहवां अङ्क हम पाठकों के सामने रख रहे हैं। इस वर्ष भी स्मारिका का सम्पादन श्री भंवरलालजी पोल्याका जैनदर्शानाचार्य साहित्यशास्त्री ने किया है। आपने अपनी अस्वस्थता की परवाह न करते हुये जो लेखन सामग्री को जुटा कर संजोया है, उसके सन्दर्भ में जो कुछ भी लिखा जावे वह कम है। मेरा मन अब इस स्मारिका को सन्दर्भ ग्रन्थ ही मानता है। मैं इश्वर से यही कामना करता हूं, श्री पोल्याका जी युग-युग जीयें । जिन विद्वानों ने रचनायें भेजी है तथा जिन विज्ञापन दाताओं ने विज्ञापन देकर आर्थिक सहयोग दिया है । यह स्मारिका उनके सहयोग का ही फल है । स्मारिका में विज्ञापन जुटाने में विज्ञापन समिति के संयोजक श्री रमेशचन्द गंगवाल एवं उनके साथी श्री देशभूषण सौगानी, श्री महेशचन्द काला, श्री अरुणकुमार सोनी, श्री सुभाषचन्द काला, श्री सुमेरचन्द जैन, श्री वीरेन्द्रकुमार पाण्ड्या ने जो अथक परिश्रम किया उसके लिये मैं इन सभी लोगों का पूर्ण आभारी हूँ। ___ अन्य कार्यक्रमों में भी मैं मेरे सहयोगी श्री बाबूलाल सेठी, श्री प्रकाशचन्द जैन, डा. कस्तूरचन्द कासलीवाल, श्री ज्ञानप्रकाश बक्शी, कुमारी प्रीति जैन एवं श्री हीराचन्द वैद, श्री तिलकराज जैन, श्री नथमल लोढ़ा, श्री पन्नालाल बांठिया आदि को नहीं भुलाया जा सकता है जिनकी प्रेरणाओं एवं सम्पूर्ण सहयोग से महावीर जयन्ती के कार्यक्रम सफलतापूर्वक मनाये जा सके हैं। अर्थ व्यवस्था में श्री देवकुमार शाह, श्री प्रकाशचन्द ठोलिया, श्री त्रिलोकचन्द काला, श्री ताराचन्द शाह, श्री सुरज्ञानी लाल लुहाड़िया, श्री कैलाशचन्द सौगानी एवं उनके अन्य अनेक साथियों का सहयोग भी भुलाने की चीज नहीं है । ___ इस अवसर पर मैं श्री कपूरचन्द पाटनी, श्री रतनलाल छाबड़ा, श्री केवलचन्द ठोलिया तथा श्री प्रवीणचन्द्र छाबड़ा के प्रयत्नों को भी नहीं भुला सकता हूँ जिनके मार्गदर्शन से इस संस्था ने निरन्तर सामाजिक क्षेत्र में कार्य किया है। संस्था श्री श्रीराम गोटे वाला, श्री चन्दनमल बंद, श्रीमती कमला बेनिवाल, श्री फूलचन्द जैन एवं श्री निहालबन्द जैन आदि के समय समय पर प्राप्त सहयोग के लिये भी पूर्ण रूप से आभारी है। ___ स्मारिका के प्रिन्टिग में श्री नेमीचन्द काला का भी जो सहयोग रहा है, उसी का परिणाम है कि यह स्मारिका प्राज पाठकों के हाथ में है। प्राशा है यह स्मारिका पाठकों के मनोनुरूप सिद्ध होगी। भविष्य में और भी उपयोगी बने इसके लिये सुझाव आमन्त्रित हैं । राजकुमार काला अध्यक्ष राजस्थान जैन सभा, जयपुर Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.014032
Book TitleMahavira Jayanti Smarika 1976
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBhanvarlal Polyaka
PublisherRajasthan Jain Sabha Jaipur
Publication Year1976
Total Pages392
LanguageEnglish, Hindi
ClassificationSeminar & Articles
File Size22 MB
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