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________________ -१७८ श्रमण विद्या 94) उच्चारिऊण मंतं अहिसेयं कुणउ देवदेवस्स । णीरघखीरदहियं खिवेउ अणुकमेण जिणसी से || 95 ) न्हवणं काऊण पुणो अमलं गंधो य पंच विदित्ता । सवलहणं च जिणिदे कुणोज्ज कास्मीरमलएहिं ॥ 96) इय संखेवं कहियं जो पुज्जइ गंधधूवदीवेहिं । कुसुमेहिं जवइ णिच्चं सो हणइ पुराकथं पावं ॥ 97) जलधाराणिक्खेवेण पावमलं सोहणं हवे नियमं । चंदणलेवेण नरो जायइ सोहग्गसंपण्णो || 98) चंदनसुयंधलेवो जिणवरचरणेसु कुणइ जो भविओ । es aणुं विविकरियं सहावसुगंधयं धवलं ॥ Jain Education International 99 ) जायदि अक्खयणिहिरयणसामिओ अक्खएहिं अक्खोहो । अक्खीणद्धिजुत्तो अक्खय सोक्खं च पावेइ || 100) कुसुमेहिं कुसेसयवयणतरुणिजणणयण कुसुमवरमाला- । बच्चियदेहो जायइ कुसुमाउहो चेव || 101) जायइ णिवज्जदाणिहिं संतिगोकंतितेयसंपण्ण । लायण्णजलहिवेलातरंगितं पावियसरीरो ॥ 102) दीवेहिं दीवियासेसजीवदव्वाइं तच्चसब्भावो । सम्भावज णिय केवलपईवतेएण होइ णरो || 103) धूवेण सिसिरकरधवलकित्तिधवलियजयत्तओ पुरिसो । जाइइ फलेण संपत्तपंचमणिव्वाणसोक्खफलो ॥ 104) घंटाहिं घंटसद्दाउलेसु पवरच्छराण मज्झम्मि । संकीडइ सुरसंघायसेविओ वरविमाणेसु ॥ 94. cf. Ibid 442. 95. cf. Ibid 447. 95. cf. उवा० 483. 97. cf. 471. संकाय पत्रिका - १ For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.014028
Book TitleShramanvidya Part 1
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGokulchandra Jain
PublisherSampurnanand Sanskrut Vishvavidyalaya Varanasi
Publication Year1983
Total Pages402
LanguageHindi, English
ClassificationSeminar & Articles
File Size14 MB
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