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Ram Prakash Poddar
33 इत्थीपुरिससिद्धा य तहेव य नपुसगा। ___ सलिंगे अन्नलिंगे य गिहिलिंगे तहेव य ॥....उत्तर. xxXVI 49 34 चाराजिणं नगिणिणं जडी संघाडि मुण्डिणं ।
एयाणि वि न तायन्ति दुस्सीलं परियागयं ॥ पिण्डोलए वि दुस्सीले नरगाओ न मुच्चई । भिक्खाए वा गिहत्थे वा सुव्वए कम्मई दिवं ।।... उत्तर. V 21,22 35 चिरं वि से मुण्डरुई भवित्ता अथिरव्वए तवनियमेहिं भढे । चिरं वि अप्पाण किलेसइत्ता न पारए होइ हु संपराए ॥ पोल्ले व मुठी जह से असारे अयन्तिए कूडकहावणे वा । राढामणि विरुलियप्पगासे अमहग्घए होइ य जाणएसु ॥ कुसीललिंगं इह धारइत्ता इसिज्झयं जीविय बूहइत्ता । असंजए संजय लप्पमाणे विणिग्यायमागच्छइ से चिरंपि ॥ etc
-उत्तर. xx 41-49
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